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Plasma therapy Kya hai in hindi What is plasma therapy प्लाज्मा थेरपी क्या है ?


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What-is-plasma-therapy



How has blood plasma turned into an infection-fighting drug?

कैसे रक्त प्लाज्मा एक संक्रमण से लड़ने दवा में बदल गया है?

दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल ने Covid 19 के मरीजों का 'प्लाज्मा थेरेपी' से इलाज किया है। उनका दावा है कि इस इलाज से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल रहा है। भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को सीमित तौर पर ट्रायल की सशर्त इजाजत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और ड्रग्स कंट्रोलर-जनरल ऑफ इंडिया को देना है। फिलहाल ये इजाजत मैक्स अस्पताल को नहीं मिली है। लेकिन कम्पैशनेट ग्राउंड, यानी अनुकंपा के आधार पर मैक्स ने एक मरीज पर ये ट्रायल किया है और नतीजे सकारात्मक आए हैं। अस्पताल का दावा है कि Covid 19 का ये मरीज अब वेंटिलेटर पर नहीं है। 14 अप्रैल को उनका प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू किया गया था।



What is plasma therapy ? 

Plasma therapy Kya hai ? 

क्या है प्लाज्मा थेरपी ?

जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है | अगर वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित होता है तो वह वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों से ठीक हो सकता है |
कान्वलेसन्ट प्लाज्मा थेरेपी के पीछे आइडिया यह है कि इस तरह की रोग प्रतिरोधक क्षमता ब्लड प्लाज्मा थेरेपी के जरिए एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर की जा सकती है |
कान्वलेसन्ट प्लाज्मा का मतलब कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्ति से लिए गए ब्लड के एक अवयव से है | प्लाज्मा थेरेपी में बीमारी से ठीक हो चुके लोगों के एंटीबॉडीज से युक्त ब्लड का इस्तेमाल बीमार लोगों को ठीक करने में किया जाता है |


What is plasma therapyIn Simple language?

क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी?

आसाना भाषा में ऐसे में जो मरीज अभी अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है, वही एंटबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।


Who is plasma donor :-

Kon Hota hai Plasma donor :-

कौन होता है प्लाज्मा डोनर :-

कोविड-19 में इलाज से ठीक हुए लोग ही इस थेरेपी में डोनर बन सकते हैं। इस थेरेपी के लिए जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, "किसी मरीज के शरीर से एंटीबॉडीज उसके ठीक होने के दो हफ्ते बाद ही लिए जा सकते हैं और उस रोगी का कोविड-19 का एक बार नहीं, बल्कि दो बार टेस्ट किया जाना चाहिए।"
ठीक हो चुके मरीज का एलिजा (एन्जाइम लिन्क्ड इम्युनोसॉर्बेन्ट ऐसे) टेस्ट किया जाता है जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा का पता लगता है। लेकिन ठीक हो चुके मरीज के शरीर से रक्त लेने से पहले राष्ट्रीय मानकों के तहत उसकी शुद्धता की भी जांच की जाती है।


How to get out of plasma :-

Kaise nikala jata hai plasma :-

कैसे  निकाला जाता है खून  या प्लाज्मा :-

ठीक हो चुके रोगी के शरीर से ऐस्पेरेसिस तकनीक से खून निकाला जाता है जिसमें खून से प्लाज्मा या प्लेटलेट्स को निकालकर बाकी खून को फिर से उसी रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है। मैक्स अस्पताल के डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा के मुताबिक, "ऐंटीबॉडीज केवल प्लाज्मा में मौजूद होते हैं। डोनर के शरीर से लगभग 400 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाता है।

इसमें से रोगी को लगभग 200 मिलीलीटर खून चढ़ाने की जरूरत होती है। यानी एक डोनर के प्लाज्मा का दो रोगियों में इस्तेमाल हो सकता है।" डॉक्टर संदीप ने बताया कि इस थेरेपी का इस्तेमाल केवल कोविड-19 के सीवियर मरीजों के लिए ही किया जाना चाहिए। मैक्स अस्पताल का दावा है कि सरकार अस्पतालों को इस थेरेपी की इजाजत देने में ज्यादा वक्त लगा रही है।


How effective is plasma treatment:-

कितना कारगर है प्लाज्मा इलाज :-

डॉ | संदीप कहते हैं, "इस नई थेरेपी के इस्तेमाल से कोविड-19 के इलाज में एक नई तकनीक जरूर जुड़ गई है। लेकिन हमें ये भी समझना होगा कि ये कोई जादू की छड़ी नहीं है। हमने अपने मरीज पर कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के साथ-साथ बाकी दूसरे तरीकों को इलाज में शामिल रखा। जिससे ये पता चलता है कि ये प्रक्रिया 'केटेलिस्ट' यानी उत्प्रेरक का काम करती है। केवल प्लाज्मा थेरेपी से ही सब ठीक हो रहे हैं, ऐसा नहीं है।"


Delhi govt given plasma treatment to 4 People :-
दिल्ली सरकार ने 4 को दिया प्लाज्मा ट्रीटमेंट :-
दिल्ली सरकार की तरफ से अबतक लोक नायक हॉस्पिटल के चार मरीजों को प्लाज्मा ट्रीटमेंट दिया गया। ऐसा केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि अच्छी खबर यह है कि चारों मरीजों के पॉजिटिव नतीजे दिख रहे हैं। केजरीवाल के साथ आए डॉक्टर सरीन ने बताया कि चार में से दो अगले कुछ दिन में डिस्चार्ज हो सकते हैं। इससे पहले तक ये लोग वेंटिलेटर पर जाने की स्थिति में थे। अब दोनों को आईसीयू से साधारण वॉर्ड में शिफ्ट किया जानेवाला है।
                           
केजरीवाल ने बताया कि प्लाज्मा ट्रीटमेंट से पहले मरीजों का रेस्पिरेटरी रेट 30 था जो कि 15 होना चाहिए। अब प्लाज्मा ट्रीटमेंट के बाद रेस्पिरेटरी रेट 20 हो गया है।
केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में चार मरीजों पर ट्रायल के रूप में इसका इस्तेमाल हुआ
केजरीवाल के मुताबिक, इससे अच्छे नतीजे मिले, सीरियस मरीज बेहतर स्थिति में आए
केजरीवाल ने जोर दिया कि ठीक हुए मरीज अब प्लाज्मा डोनेट करने को आगे आएं



First patient of plasma therapy :-

प्लाज्मा थेरेपी का पहला मरीज :-

दिल्ली के इस मरीज की उम्र 49 साल है। इन्हें 4 अप्रैल को अस्पताल में बुखार और सांस लेने की दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनकी तबीयत धीरे-धीरे और बिगड़ती चली गई, फिर इन्हें ऑक्सीजन पर रखने की नौबत आ गई। उन्हें निमोनिया हो गया और 8 अप्रैल आते-आते मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी। इसके बाद परिवार ने डॉक्टरों से प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज करने की गुजारिश की।

परिवार ने प्लाज्मा के लिए डोनर भी खुद ही ढूंढा और 14 अप्रैल को नए तरीके के साथ इलाज शुरू किया गया। मरीज 18 अप्रैल से वेंटिलेटर सपोर्ट पर नहीं हैं और फिलहाल स्वस्थ बताए जा रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों ने उन्हें अपनी निगरानी में अस्पताल में ही रखा है।


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