DMCA.com Protection Status हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य - Airplane History Facts in Hindi

Amazon

Translate

हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य - Airplane History Facts in Hindi


हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य * Airplane History Facts in Hindi

Hawai jahaj me  kitne air hostage hoti hai

Airoplane



Airoplane/ हवाई जहाज़ एक ऐसे यान को कहते है जो धरती के वातावरण या किसी अन्य वातावरण में पंख और इंजन की सहायता से उड सकता है । किन्तु राकेट, हवाई जहाज़ नहीं है क्योंकि उडने के लिये इसके चारो तरफ हवा का होना आवश्यक नहीं है । सभी हवाई जहाज़ एक सामान नही होते बल्कि ये अलग-अलग आकार, आकृति और पंखो के अनुसार आते है ।


बहुत से जहाज को उड़ाने के लिए चालक की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ को कम्प्यूटर की सहायता से भी चलाया जा सकता है । इसका नाम हिन्दी भाषा जहाज शब्द के मेल से बना है । यह हवा में उड़ सकता है, इस कारण इसे हवाई जहाज कहते हैं ।


आधुनिक हवाई जहाज़ को सबसे पहले राइट बंधुओं ने बनाया था, जो सयुंक्त राज्य अमेरिका के रहने वाले थे । जिस समय उन्हें हवाई जहाज बनाने का ख्याल आया, उस समय विल्वर सिर्फ 11 साल का था और ओरविल की उम्र थी 7 साल । इनके पिता बिशप मिल्टन राईट इनके लिए तरह-तरह के खिलौने लाते थे । एक बार वे मशीनी हेलीकाप्टर लेकर आये, जिसे देखकर राईट बन्धु बहुत प्रभावित हुए। इस खिलौने को उड़ता देख विल्वर और ओरविल के मन में भी आकाश में उड़ने का विचार आया । उन्होंने निश्चय किया कि वे भी एक ऐसा खिलौना बनाएंगे । इसके बाद वे पक्षी उड़ान , ग्लाइडिंग इत्यादि पर अध्ययन करने लगे, और वायुयान का मॉडल बनाने में जुट गए ।

दिसम्बर 1903 को औरविल ठीक 10 बजकर 35 मिनट पर सुबह अपने बनाये वायुयान में सवार हुए । उन्होंने 12 सैकंड तक उसे उड़ाया और 120 फीट की दूरी तय की । उसी दिन चौथी टेस्ट लाइट में विलबर 59 सैकंड तक हवा में रहे और उन्होंने 852 फीट की दूरी तय की । ओर्विल राइट अपनी पहली हवाई उड़ान पर बैठ कर नहीं, बल्कि जहाज के मध्य की पंखे पर लेटकर किए गए थे । हवाई जहाज के निर्माण में उन्होंने फ्लूड डायनामिक्स के सिद्धांतों का प्रयोग किया था । हवाई जहाज का वजन बार-बार कम किया ताकि हवा इसे खींच ना ले जाए । उन्होंने इसके उड़ने की दिशा सही और संतुलित करने के लिए थ्री एक्सिस कंट्रोल थ्योरी का प्रयोग किया और अंत में सफल रहे ।  राईट बंधुओ ने अपने प्रयोग जारी रखे और राईट कम्पनी की स्थापना की ।

               मुख्य रूप से हवाई जहाज़ को दो वर्गों में बांटा जा सकता है :-

·         हवा से हल्के (एरोस्टैट्स) * एरोस्टैट्स, हवा में उडने के लिये उत्प्लावन बल (bouancy) का सहारा लेते हैं। (ठीक उसी तरह जैसे पानी में लोहे का बना जलयान (शिप) तैरता है)
·         हवा से भारी (एरोडाइन्स) -हवा से भारी वायुयान, किसी ऐसी युक्ति का प्रयोग करते हैं जिससे हवा या गैस को नीचे की तरफ दबाकर वे अपने भार के बावजूद हवा में तैरते रह सकते हैं।


पहली हवाई यात्रा की तैयारी कैसे करे ? Pahli hawai yatra kaise kre ?


पहली हवाई यात्रा की तैयारी इस तरह से करें ताकि सफ़र सुखद रहे |
पहली बार हवाई यात्रा करने वाले अपनी इस यात्रा को लेकर काफी नर्वस हो जाते हैं |उन्हें समझ नहीं आता है कि वो अपनी इस पहली हवाई यात्रा की तैयारी किस तरह से करें ताकि उन्हें सफर के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो |

अगर आप भी पहली बार हवाई यात्रा करने जा रहे हैं तो चलिए हम आपकी इस परेशानी को हल किए देते हैं और बताते हैं कि आपको अपनी इस खास पहली हवाई यात्रा की तैयारी किस तरह से करनी चाहिए |

1.        अगर आप पहली बार हवाई यात्रा कर रहे हैं तो बता दें कि आपको फ्लाइट के टाइम से 2 घंटे पहले एयरपोर्ट पर पहुंचना होगा | ताकि उड़ान भरने से पहले आप एयरपोर्ट पर अपनी सारी औपचारिकताएं पूरी कर सकें |


2.        फ्लाइट टिकट के प्रिंट आउट या फोटो कॉपी के साथ ऑरिजनल आईडी प्रूफ रखें अगर आपके साथ बच्चा है तो उसका बर्थ सर्टिफिकेट भी साथ रखें |

3.        बैगेज रूल्स के मुताबिक बैग पैक करें क्योंकि फ्लाइट में एक केबिन बैग रख सकते हैं जबकि दो बड़े चेक इन बैग एयरलाइन काउंटर पर देने होते हैं |

4.        हवाई यात्रा के दौरान अपने साथ नुकीली चीजें, चाकू, हथियार, लाइटर, माचिस और ब्लेड ना रखें |

5.        एयरपोर्ट पर एंट्री करते समय फ्लाइट टिकट की कॉपी और आईडी प्रूफ सिक्योरिटी फोर्स मेंबर्स को दिखाना होगा तब जाकर आपको एंट्री मिलेगी |

6.        अब एंट्री के बाद बैगेज एक्स रे स्क्रीनिंग काउंटर पर चेकिंग करवाएं |इसके बाद जिस एयरलाइन से आपकी बुकिंग है उसी काउंटर पर टिकट जाकर दिखाएं |

7.        स्टाफ मेंबर आईडी चेक करने के बाद आपको बोर्डिंग पास देंगे यानी आप प्लेन में बैठने के लिए तैयार हैं) चाहें तो आप विंडो सीट की डिमांड भी कर सकते हैं |

8.       आपको चेक इन काउंटर पर बोर्डिंग पास और आई कार्ड दिखाना होगा | चेकिंग प्रोसेस के बाद बैग्स का वेट चेक कर टैग लगाकर आपको फ्लाइट के कार्गो सेक्शन में भेजा जाएगा, जो लैंडिंग के बाद आपको हैंडओवर कर दिया जाएगा |

9.        अब सिक्योरिटी फोर्स मेंबर्स आपकी चेकिंग करेंगे और बोर्डिंग पास पर स्टैंप लगाकर आपको वापस कर देंगे | जिसके बाद आपको बताए गए एंट्री गेट की ओर मूव करना होगा वहीं आपकी फ्लाइट और सीट नंबर की डिटेल्स भी मिल जाएगी |

10.    टेकऑफ से आधे घंटे पहले टर्मिनल गेट खोला जाएगा | यहां दोबारा बोर्डिंग पास और हैंडबैग चेक करवाना होगा |प्लेन में एंट्री करने के बाद टेकऑफ से पहले क्रू मेंबर जरूरी इंस्ट्रक्शन देंगे | उन्हें फॉलो करें और अब सीट बेल्ट लगाकर फ्लाइट के लिए रेडी हो जाएं |

इस तरह से कीजिये पहली हवाई यात्रा की तैयारी :-  गौरतलब है कि पहली हवाई यात्रा के लिए घर से अपनी पूरी तैयारी करके निकलें | ताकि आपकी पहली हवाई यात्रा सुखद और आनंदमय रहे |

एयर टिकट बुकिंग में करें इन 5 टिप्स का यूज, बचेंगे पैसे

नई दिल्ली देश में हवाई जहाज से सफर करने वालों की तादाद तेज़ी से बढ़ रही है | अब हवाई जहाज से यात्रा हम सब की जरूरत बन चुकी है | देश में रेल सफर की खराब हालत के चलते लोग समय से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए फ्लाइट को वरीयता दे रहे हैं |
किराए में कमी के चलते भी हवाई यात्रा का आकर्षण बढ़ा है | पिछले साल 10 करोड़ लोगों ने घरेलू रुट्स पर उड़ान भरी और करीब 5.5 करोड़ ने लोगों ने विदेश यात्रा की |
फ्लाइट्स की तुलना में रेलवे ने करीब 13 करोड़ टिकट एसी कोच के बेचे | आंकड़ों के अनुसार रेलवे के एसी क्लास में सफर करने वालों से ज्यादा लोगों ने हवाई जहाज से यात्रा की | भारत में एयरलाइंस कंपनियों का किराया डायनेमिक है |
अगर आप हवाई यात्रा करने जा रहे हैं तो टिकट बुक कराने में इन 5 बातों को ध्यान में रख काफी बचत कर सकते हैं |
1.      कब बुक करें टिकट
फ्लाइट के टेक ऑफ करने के बाद एयरलाइंस कंपनी टिकट नहीं बेच सकती | इसलिए ज्यादातर एयरलाइंस कंपनियां जल्दी से जल्दी सीटें भरना चाहती हैं | इसे देखते हुए जितना जल्दी हो सके अपना टिकट बुक करा लें |
एयरलाइंस फ्लाइट्स के टिकट कई महीने पहले बेचना शुरू कर देती हैं | इसलिए जितना जल्दी आप टिकट बुक कराएंगे उतना ही सस्ता यह आपको पड़ेगा |

2.      किराया तय करने के लिए अलग सिस्टम
एयरलाइंस कंपनियों की जो किराये तय करने की प्रक्रिया है वह उत्पादकता प्रबंधन पर आधारित है यानी जिसे यील्ड मैनेजमेंट कहा जाती है | एयरलाइंस कंपनियों का मकसद हर पैसेंजर किलोमीटर (आरपीकेएम) पर अधिकतम रेवेन्यू कमाना है|
होटल, ट्रैवल कंपनी और भारतीय रेलवे भी इसी तरह के फार्मूले को अपनाते हैं | साल 2016 में आरपीकेएम 4 रुपये के करीब पहुंच गया था यानी 4 रुपये में एक किलीमीटर |
आंकड़े देखें तो आप पाएंगे कि यात्री करीब उतना ही किराया चुका रहे हैं जितना वह बस या ट्रेन की यात्रा में चुका रहे हैं| एयरलाइंस से सफर करने वालों की मांग बस और ट्रेन की तुलना में बढ़ रही है |

3.      टिकट रिफंडेबल है या नहीं, 2500 है कैंसिलेशन फीस
नॉन रिफंडेबल टिकटों में एयरलाइंस अपने नुकसान की भरपाई करने की कोशिश करती हैं | सस्ते ऑफर की वजह से सीटें जल्दी भरती हैं इसलिए अगर किसी ने टिकट कैंसल किया तो एयरलाइंस की जेब में कुछ तो पैसा आएगा |
इसलिए अगर आपकी यात्रा में दुविधा की स्थिति है तो हमेशा रिफंडेबल टिकट ही खरीदें | एयरलाइंस (ट्रैवल एजेंट्स ) कंपनियां टिकट रिफंडेबल है या नहीं इसके बारे में पहले ही जानकारी दे देती हैं | इसके अलावा एयरलाइंस कंपनियां ये भी बता देती हैं कि नॉन रिफंडेबल टिकट पर कैंसिलेशन फीस कितनी है |
फिलहाल कोई भी एयरलाइंस कंपनी 2500 से ज्यादा कैंसिलेशन फीस नहीं चार्ज कर सकती है | अगर आपने 3000 रुपये की फ्लाइट बुक की है तो इसे कैंसिल कराने पर आपको महज 500 रुपये वापस मिलेंगे| कई बार टिकट 2500 से भी नीचे खरीदा गया तो तो आपके हाथ में कुछ नहीं आएगा |
4.     कई बार बीच वाली कतार में सस्ता रहता है टिकट
अपनी सीटें बेचने के लिए एयरलाइंस कंपनियां कई हथकंडे अपनाती हैं | ये एयरलाइंस ग्राहकों को एक ही फ्लाइट में अलग-अलग किराए का विकल्प देती हैं |
आमतौर पर इकनॉमी क्लास में बीच वाली कतार में चेक इन बैगेज की अनुमति नहीं होती है | इसमें खाना भी नहीं रहता लेकिन ये टिकट सस्ते पड़ते हैं | अगर टिकट के साथ खाना शामिल न हो तो बेहतर है कि आप फ्लाइट में ही खाना आर्डर करिये | इससे भी आपको काफी बचत होगी |

5.     मॉनिटियरिंग एयरलाइंस
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) काफी गंभीरता के साथ एयरलाइंस कंपनियों के किरायों का मूल्याकंन करता है | जब भी कीमतें ऊपर-नीचे जाती हैं डीजीसीए एयरलाइंस की गतिविधियों की जांच करता है |
इसके अलावा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई या CCI) भी एयरलाइंस के डायनेमिक फेयर पर कड़ी नजर रखता है | दुनिया की दूसरी एयरलाइंस कंपनियों के रेगुलेटर भी अपने यहां किरायों पर नजर रखते हैं |
भारतीय रेगुलेटर भी दूसरे देशों के एयरलाइंस रेगुलेटर के संपर्क में रहते हैं जिससे कोई भी एयरलाइंस कंपनी मनमानी न कर सके | अगर किसी राष्ट्रीय आपदा या अन्य वजहों से हवाई जहाज से यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ती है तो एयरलाइंस अचानक फ्लाइट्स शुरू करने की स्थिति में नहीं होती हैं ऐसे स्थिति में एय़र टिकट के किराये काफी बढ़ जाते हैं |
हालांकि ऐसी स्थिति में सरकार की कोशिश रहती है कि एयरलाइंस कंपनियों को मदद कर सामान्य स्थिति बनाई जा सके |


फ्लाइट में चढ़ने से पहले या उतरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना होता है  ?  कई बार ज्यादा हवाई सफर करने वाले यात्री भी कुछ गलतियां कर बैठते हैं |


क्या करें फ्लाइट में चढ़ने से पहले  :-


1.        पहले ध्यान दें की प्लेन में क्या-क्या मिल सकता है |


ये देखने में बहुत अजीब लग रहा है पर ये टिप बहुत काम की साबित हो सकती है | एक उदाहरण बताती हूं | एयर एशिया X यानी एयर एशिया की एक्स्ट्रा लॉन्ग फ्लाइट जो अक्सर इंटरनेशनल होती है वो केबिन बैगेज के लिए तो पैसे नहीं लेती, लेकिन अगर लगेज को चेक इन करना है तो एक्स्ट्रा चुकाना होता है| केबिन 7 किलो लगेज ही फ्री होता है, इसके अलावा अगर 5 घंटे की फ्लाइट भी है तो भी वहां पानी तक खरीदना पड़ेगा (अगर आपकी टिकट में पहले से ही नहीं जोड़ा गया है तो) ऐसे में एयर एशिया की फ्लाइट का अनुभव काफी खराब हो सकता है, लेकिन दूसरी तरफ देखें तो ये फ्लाइट आपके हज़ारों रुपए बचा सकती है| बस पानी और कुछ स्नैक्स लेकर जाएं| लगेज भी पहले से अगर बुक करवा दिया गया तो 50% कम दाम में चेकइन हो जाएगा | ऐसे ही लगभग हर एयरलाइन के अपने अलग नियम होते हैं और भले ही कस्टमर किसी भी एयरलाइन से सफर कर रहा हो एक बार प्लेन की जानकारी ले लेनी चाहिए |



कई बार अक्सर यात्रा करने वाले यात्री भी ये गलती कर सकते हैं :-

2.        ज्यादा सामान बाहर न निकालें |


अधिकतर लोग ये ध्यान नहीं रखते और अपना सामान बोर्डिंग के बाद ही निकालने लगते हैं | ऐसे में जब टेकऑफ या लैंडिंग होगी या फिर प्लेन में टर्बुलेंस होगा और सामने वाली टेबल को बंद करने को कहा जाएगा तो समस्या होगी | इससे बेहतर ये है कि जितनी जरूरत हो उतना ही सामान निकालें| टर्बुलेंस के समय भी सामान गिरने की गुंजाइश ज्यादा रहती है | प्लेन में सिर्फ उतना ही सामान बाहर निकालें जितना जरूरी हो | हेडफोन से लेकर चश्मे के केस तक सब कुछ ऊपर रखने की जरूरत नहीं |


3.        फ्लाइट में पानी बोतल वाला ही पिएं :-


एक अच्छा तरीका ये होता है कि फ्लाइट में बैठने से पहले थोड़ा पानी पी लें क्योंकि टेकऑफ के समय कई लोगों को गला सूखने की शिकायत होती है और टेकऑफ के समय काफी देर तक पानी नहीं मिलेगा      | दूसरी बात ये कि प्लेन के अंदर पानी सिर्फ बोतल वाली बॉटल का ही पिएं | कारण ये है कि प्लेन में जो टैप वॉटर होता है वो न तो सुरक्षित होता है और न ही प्लेन का वॉटर टैंक साफ होता है | वैसे कई लोग ये करते हैं और कई बार एयरहोस्टेस डिस्पोजल ग्लास में ही पानी देती है लेकिन आप चाहें तो उससे पानी की बोतल मांग सकते हैं या खुद पानी ले जा सकते हैं  |

 

4.        मौसम की जांच  :-


यहां उस मौसम की बात नहीं हो रही जो आपकी जगह पर है बल्कि उसकी बात हो रही है जहां आप लैंड करने वाले हैं | इसकी समस्या अक्सर उन लोगों को होती है जो छुट्टियां मनाने जाते हैं | मान लीजिए मैं बिहार से अमेरिका की यात्रा कर रहा हूं और मैंने अपने चेकइन बैगेज में तो ठंड के कपड़े रख लिए हैं, लेकिन एयरपोर्ट लुक के चक्कर में बिहार से कुछ ले जाना भूल गया हूँ | अमेरिका में लैंड करते ही मुझे कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा |

5.        कान दर्द की दवाई :-


अगर आप पहली बार हवाई यात्रा कर रहे हैं, या पहले भी कर चुके हैं तो भी ये संभव है कि आपके कान में दर्द हो | इसे 'एरोप्लेन इयर' भी कहा जाता है | कई लोगों को प्रेशर के कारण कान में दर्द होता है | ऐसा भी हो सकता है कि आपको न हो, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि सफर बेहद दर्दनाक बन जाए| इसके लिए कुछ एक्सरसाइज काम आती हैं|

अगर ये नहीं काम आती तो बेहतर होगा कि एयरपोर्ट से ही इसके लिए कोई दवाई लेकर जाएं | इसकी जानकारी एयरपोर्ट पर मौजूद केमिस्ट दे सकता है और ये बहुत फायदेमंद रहेंगी उन लोगों के लिए जिन्हें परेशानी होती है |


क्या करें उतरने से पहले :-


1.        लैंडिंग के कुछ समय पहले सीट से उठकर पैरों को आराम दें |


मैं ये नहीं कह रही कि पूरी फ्लाइट में घूमते फिरें, लेकिन लंबी फ्लाइट में पूरे समय फ्लाइट में बैठना खतरनाक हो सकता है | ऐसा इसलिए भी क्योंकि किसी को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (deep vein thrombosis (DVT)) की समस्या हो सकती है | ये ऐसी समस्या है जिसमें पैरों में ब्लड क्लॉट बन जाते हैं| इसे कई लोग इकोनॉमी क्लास सिंड्रोम भी कहते हैं | कम जगह पर पैर होने के कारण उनमें ऐसी समस्या आ जाती है | इसीलिए ये भी कहा जाता है कि फ्लाइट के समय टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए | इसके अलावा, लैंडिंग के लिए तैयारी हो उससे पहले भले ही वॉशरूम तक हो आएं, लेकिन एक बार सीट से उठकर चलने की कोशिश जरूर करें |

 


2.        फोन को एयरप्लेन मोड से हटा लें  :-


जितना जरूरी फोन को एयरप्लेन मोड में डालना है उतना ही जरूरी है उसे एयरप्लेन मोड से हटाना| कई बार ऐसा होता है लैंडिंग के बाद बहुत देर तक फोन में सिग्नल नहीं आते या फोन रीबूट होने में समय लगा देता है | ये खासतौर पर विदेशों में होता है ऐसे में एयरपोर्ट के बाहर निकलने का इंतजार न करें |

3.       उतरने से पहले ही जांच ले इंस्ट्रक्शन :-


ये उन लोगों के लिए है जो विदेश यात्रा पर जा रहे हैं | हर देश के अलग नियम होते हैं और कई बार जल्दी-जल्दी में आप वहां के एयरपोर्ट नियम देखना भूल जाते हैं | जैसे कई एयरपोर्ट्स आपसे एक डिक्लेरेशन फॉर्म पर साइन करवाते हैं (ये कस्टम और वीजा चेक के अलावा होता है) इसके बारे में जानकारी नहीं हुई तो बहुत समय लग सकता है |

4.        हड़बड़ी न करें :-


फ्लाइट लैंड होने के बाद अक्सर देखा गया है कि लोग अपने सामान के लिए हड़बड़ी करने लगते हैं और खड़े हो जाते हैं, उन्हें प्लेन से निकलने की जल्दी भले ही होती हो, लेकिन यकीन मानिए न तो प्लेन आपको छोड़कर जाएगा और न ही आपके खड़े हो जाने से आप जल्दी निकल पाएंगे| लाइन में लगने से बेहतर है थोड़ी भीड़ छंटने दें और उसके बाद प्लेन से उतरें|


 


जानिए हवाई यात्री के अधिकार :-


हवाई जहाज की यात्रा करते समय कई अधिकार-नियम होते हैं जिनसे हम अनजान रहते हैं । इन अधिकारों और नियमों को जानना हमारी हवाई जहाज की यात्रा को सुविधाजनक बना सकता है ।

आइए जानते हैं क्या हैं वे ‍अधिकार और नियम :-

डीजीसीए का यह नियम :-


डीजीसीए का यह नियम है कि विमान खराब होने के ‍एक घंटे बाद यात्री को सुविधा देनी होगी और यदि वह सुविधा नहीं चाहता तो हाथोहाथ टिकट का पैसा देना पड़ेगा । चूंकि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं होती, अत:वे सहने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।
नियमों के मुताबिक जितने का भी टिकट हो, उतना पूरा पैसा रिफंड किया जाना चाहिए। यदि यात्री दूसरे विमान में जाना चाहता है तो उसकी व्यवस्था भी कंपनी को करनी पड़ेगी। यदि विमान एक घंटे बाद नहीं उड़ा और दूसरा विमान आने वाला हो तो यात्री को थ्री स्टार होटल में रुकवाना होगा।

जैसे ही वह विमान आ जाए तो यात्री को होटल से कंपनी के किराए से टैक्सी में वहां तक पहुंचाना होगा। यदि पूरा रिफंड नहीं देते हैं तो उनसे रिफंड सर्टिफिकेट की मांग करना चाहिए। रिफंड सर्टिफिकेट यात्री का हक है। इससे वह कंपनी पर क्लेम लगा सकता है।

उड़ान यदि देर रात को नहीं उड़ी तो उसका होटल किराया भी कंपनी को ही देना होगा। डीजीसीए ने साफ किया है कि जैसे ही पायलट ने कहा कि विमान नहीं उड़ सकता है तो सभी यात्रियों को वेटिंग रूम में लाकर तत्काल फूड कूपन देकर विमानतल पर बने रेस्टोरेंट में नाश्ता करवाना जरूरी है, वहीं छोटे बच्चे हों तो उनके दूध की व्यवस्था भी कंपनी को करनी होगी।

यदि इन सबसे कंपनी वाले पल्ला झाड़ते हैं तो डीजीसीए की वेबसाइट पर 24 घंटे में शिकायत हो जाना चाहिए इसके बाद सुनवाई नहीं होती है तो यात्री को पहले विमानतल निदेशक को लिखित में या फिर एसएमएस करके जानकारी देना चाहिए। इसके लिए एयर कंट्रोल रूम के प्रभारी को किसी भी सूरत में विमानतल निदेशक का फोन नंबर देना जरूरी है। फोन नंबर तभी मिलेगा, जब यात्री अपना टिकट दिखाएगा ।

  60 मिनट बाद होता है यात्री का हक शुरू :-
 पहले 60 मिनट काफी खास होते हैं । ऐसे में यदि विमान ठीक हो जाए तो कोई मुश्किल नहीं होती। 60 मिनट बात यात्री का हक शुरू होता है और कंपनी को इसे देना पड़ता है । यदि वे नहीं देते हैं तो तुरंत कंट्रोल रूम से संपर्क कर निदेशक का मोबाइल नंबर लेना चाहिए ताकि उसमें पीएनआर नंबर डालकर शिकायत की जा सके ।




 हवाई यात्रा में कौन सी चीजें ले जाने पर है रोक


यदि आप भी इस तरह किसी उड़ान में देरी का कारण बनने से बचना चाहते हैं तो इन चीजों को कभी सामान में लेकर न जाएं। घरेलू और बाहरी उड़ानों एवं विदेश से भारत आने वाली फ्लाइट्स पर इन सामानों को लाने और ले जाने पर रोक है |
हवाई यात्रा के दौरान न ले जाएं ये चीजें
   

                           Biodata of Ranu mandal

                              Biodata of Prabhas

नई दिल्ली :-
हवाई यात्रियों के चेक-इन लगेज में बड़े पैमाने पर पावर बैंक पाए जाने के बाद गुरुवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर सैकड़ों पैसेंजर्स का सामान इधर-उधर हो गया था। इसके चलते फ्लाइट्स में देरी हुई थी, हालांकि शुक्रवार को स्थिति सामान्य रही। एयरपोर्ट ऑपरेटर का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अगले कुछ दिनों तक एयरलाइंस को अडवाइजरी जारी की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह हैदराबाद जाने वाली एक फ्लाइट में यात्री के चेक-इन बैगेज में पावर बैंक भूलने का मामला सामने आने के बाद से चेकिंग की प्रक्रिया सख्त हो गई है। यदि आप भी इस तरह किसी उड़ान में देरी का कारण बनने से बचना चाहते हैं तो इन चीजों को कभी सामान में लेकर न जाएं। घरेलू और बाहरी उड़ानों एवं विदेश से भारत आने वाली फ्लाइट्स पर इन सामानों को लाने और ले जाने पर रोक है। जानें, पावर बैंक समेत प्रतिबंधित चीजों की पूरी लिस्ट...

इन पर्सनल आइटम्स पर रोक


1. लाइटर

2. मेटल वाली कैंची

3. हथियार जैसे खिलौने

ये धारदार चीजें भी हैं बैन

4. बॉक्स कटर

5. आइस ऐक्स/आइस पिक्स

6. किसी भी तरह का चाकू

7. मांस काटने का चाकू

8. रेजर टाइप ब्लेड, सेफ्टी रेजर पर रोक नहीं

9. कृपाण या तलवार


खेल के ये सामान भी प्रतिबंधित

10. बेसबॉल बैट

11. तीर और धनुष

12. क्रिकेट बैट

13. गोल्फ क्लब्स

14. हॉकी स्टिक्स

15. लैक्रॉस स्टिक्स

16. पूल क्यूज

17. स्की पोल्स

18. स्पियर गन्स


इन हथियारों से बचें


19. गोला-बारूद

20. पिस्तौल

21. गन लाइटर

22. गन पाउडर

23. बंदूक और पिस्तौल का कोई हिस्सा

24. पेलेट गन

25. हथियार जैसी कोई अन्य चीज

26. स्टार्टर पिस्टल

ऐसे औजार ले जाना भी मना

27. कुल्हाड़ी एवं बसूला

28. सब्बल

29. ड्रिल

30. हथौड़ा

31. पेचकस

32. आरा 


मार्शल आर्ट और सेल्फ डिफेंस के इन आइटम्स पर भी रोक

33. बिली क्लब

34. ब्लैक जैक्स

35. मार्शल आ्र्ट वेपन्स

36. नाइट स्टिक्स

37. मार्शल आर्ट और सेल्फ डिफेंस के अन्य आइटम

38. स्टन गन या शॉकिंग डिवाइसेज


ऐसी विस्फोटक सामग्री से भी बचें


39. ब्लास्टिंग कैप्स

40. डायनामाइट

41. फायरवर्क्स

42. फ्लेयर्स

43. हैंड ग्रेनेड

43. प्लास्टिक एक्सप्लोसिव्स

44. विस्फोटक सामग्री की अनुकृति


ज्वलनशील पदार्थ


45. एयरोसोल

46. फ्यूल

47. गैसोलीन

48. गैस टॉर्च

49. लाइटर फ्लूड

50. माचिस

51. पेंट थिनर


ऐसे केमिकल्स पर भी है रोक


52. क्लोरीन

53. कम्प्रेस्ड गैस सिलिंडर

54. लिक्विड ब्लीच

55. स्प्रे पेंट

56. टीयर गैस


नोट: स्पोर्ट्स आइटम्स जैसे क्रिकेट बैट और बेसबॉल बैट बॉल आदि को आप सामान के साथ रख सकते हैं, लेकिन साथ नहीं ले जा सकते


ब्लैक बॉक्स किसे कहते हैं ?


ब्लैक बॉक्स' वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है | इसे या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है | आम तौर पर इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है |


यह बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है ताकि ऊँचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो |


ब्लैक बॉक्सका इतिहास:


वर्ष 1953-54 में हवाई हादसों की बढती हुई संख्या को देखते हुए विमान में एक ऐसे उपकरण को लगाने की बात की जाने लगी जो कि विमान हादसे के कारणों की ठीक से जानकारी दे सके ताकि भविष्य में होने वाले हादसों से बचा जा सके | इसके उपाय के रूप में ब्लैक बॉक्स का अविष्कार किया गया |


शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण रेड एगके नाम से पुकारा जाता था | शुरूआती दिनों में बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, शायद इसी कारण इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ा |


ब्लैक बॉक्सके दो अलग-अलग बॉक्स होते हैं

1.        फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर  :-  इसमें विमान की दिशा, ऊँचाई (altitude) , ईंधन, गति (speed), हलचल (turbulence), केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है| यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है | इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके |



2.        कॉकपिट वोइस रिकॉर्डर :- यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है | यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है; ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था |



ब्लैक बॉक्सकैसे काम करता है ?


जैसा कि ऊपर बताया गया है कि ब्लैक बॉक्स बहुत ही मजबूत धातु का बनाया जाता है | यह 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर लेता है और 30 दिन तक बिना विद्युत् के काम करता रहता है | जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो प्रत्येक सेकेण्ड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है | इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल द्वारा 2 से 3 KM  की दूरी से ही पहचान लिया जाता है | इसके एक और मजेदार बात यह है कि यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेजता रहता है |


हालांकि ब्लैक बॉक्स किसी भी विमान दुर्घटना की बिलकुल साफ-साफ तस्वीर नही दिखाता है; कई मामलों में तो यह मिलता भी नही है | लेकिन इतना तो तय है कि किसी विमान की दुर्घटना के कारणों को जानने में इसकी एक अहम् भूमिका होती है |

 


हवाई जहाज 1 लीटर में कितना माइलेज देता है  ?


What  is  the  mileage  of  an  aeroplane  in 

 one  liter  fuel ?


1 लीटर ईंधन में हवाई जहाज कितना माइलेज देता है  ?


Ek  liter  me  hawai  jahaj  kitna 

 mileage  deta  hai ?


आजकल लोग दुनिया भर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए हवाई जहाज का इस्तेमाल करते हैं | लेकिन क्या कभी सोचा है की हवाई जहाज का माइलेज कितना होता है, 1 लीटर में कितना एवरेज देता है | आखिर इतना भारी और बड़ा हवाई जहाज 1 किलोमीटर चलने में कितना ईंधन का इस्तेमाल करता है | ये जानने के बाद आप हैरान हो जाएँगे | हम सब जानते हैं कि अधिकतर बाइक या कार 1 लीटर में 30 से 80 किलोमीटर का माइलेज देते हैं | लेकिन जितना बड़ा वाहन होता है उसकी ईंधन की खपत भी उतनी ही ज्यादा होती है | अब जैसे बोइंग 747 हवाई जहाज की बात करे तो ये विमान प्रति सेकंड में लगभग 4 लीटर ईंधन खर्च करता है | यानी 1 मिनट की यात्रा के दौरान 240 लीटर ईंधन खर्च कर देता है |


एक हवाई जहाज में कितने लोग बैठते है ?


एक हवाई जहाज में कितने सीटें होती है


राफेल विमान की क्या विशेषताएं हैं ?


बोइंग की वेबसाइट के अनुसार, 747 लगभग 5 गैलन प्रति मील (12 लीटर प्रति किलोमीटर) ईंधन की खपत करता है | यानी बोइंग 747 विमान 1 किलोमीटर में लगभग 12 लीटर इंधन का इस्तेमाल करता है | मतलब की 1 लीटर में ये विमान 0.8 किलोमीटर चलता है | यह विमान 10 घंटों के सफर के दौरान 1.500, लीटर का ईंधन खर्च करता है | बोइंग विमान में लगभग 465 यात्री सफर कर सकते हैं और इसकी औसत स्पीड 900 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है | अगर हम हर यात्री का Fule Conjuction निकाले तो एक यात्री के लिए 1 KM  जाने में 0.04 लीटर Fule की जरूरत पड़ती है |


अब एक और विमान की बात करें तो बोइंग 737-800 विमान दुनिया की एयरलाइनों के बीच आमतौर पर और व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, प्रति सीट प्रति घंटे लगभग 4.88 गैलन यानी लगभग 18.47 लीटर ईंधन जलाता है और 515 मील प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कराता है | देखा जाए तो अधिकतर विमान प्रति घंटे 3200 लीटर ईंधन की खपत करते होंगे | इसका मतलब है कि एमडी-80 विमान की तुलना में, बोइंग 737-800 विमान प्रति उड़ान में यूएस $ 2,000 आसानी से बचा सकता है |


आइये कुछ उधारणों से और समझते हैं:

- अगर बोइंग 747 एक किलोमीटर में 12 लीटर ईंधन खर्च करता है, यानी 500 यात्रियों को 12 लीटर ईंधन में 1 किलोमीटर का सफर कराएगा ये विमान | देखा जाए तो एक किलोमीटर में प्रतिव्यक्ति पर सिर्फ 0 |024 लीटर ईंधन खर्च करता है |
- 100 किलोमीटर सफर के दौरान बोइंग 747 प्रतिव्यक्ति पर सिर्फ 2 |4 लीटर ईंधन ही खर्च करेगा |

बोइग 747 के बारे में तथ्य :-


- बोइंग 747 विमान एक विशाल व्यावसायिक विमान और कार्गो परिवहन विमान है, जिसे जंबो जेट या आसमान की रानी के उपनाम से जाना जाता है |

- यह विमान विशाल आकार वाला सबसे पहला विमान था |

- इस विमान में चार इंजन हैं और यह यात्री, मालवाही और अन्य संस्करणों में उपलब्ध है |

- इसने अपनी पहली उड़ान 9 फरवरी 1969 को भरी थी |

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि 1 लीटर में हवाई जहाज कितना माइलेज देता है |


 


एक बच्चे के साथ यात्रा के लिए एयरलाइन टिकट नीतियां   ,


नवजात शिशु के उड़ान नियम ,


घरेलू उड़ान में शिशु किराया ?


एक बच्चे के साथ उड़ान भरने का मतलब अक्सर एक कार सीट और एक घुमक्कड़ और बच्चे के लिए अन्य सामान के साथ घूमना है । लेकिन यदि आप अवांछित हैं और बच्चे के साथ उड़ान भरने की योजना बना रहे हैं, तो छोटे बच्चे के साथ यात्रा करने वाले सभी नियमों को समझने के लिए वाहक से जांच करना महत्वपूर्ण है । यह एक बच्चे के साथ लंबी सड़क यात्रा करने से बहुत तेज़ है, लेकिन हवा से यात्रा मुद्दों से भरा हुआ है, और आप नहीं चाहते कि यह विशेष स्थिति उनमें से एक हो


 फ्लाइट में कितने साल के बच्चे का टिकट लगता है ?


सामान्य नियम  :-

एक बच्चे के साथ यात्रा करने के लिए एयरलाइंस के बीच नियम एयरलाइन द्वारा भिन्न हो सकते हैं, और नियम अक्सर बदल सकते हैं, लेकिन बच्चों के लिए टिकटों के संबंध में समग्र सामान्य दिशानिर्देश हैं

2 और उससे कम आयु के शिशु घरेलू अमेरिकी उड़ानों पर एक भुगतान यात्री के साथ मुफ्त में उड़ सकते हैं जब तक वे यात्री के गोद में बैठते हैं।
विमान में कार की सीट में सवारी करना सुरक्षित है, और यदि आप उस विकल्प को पसंद करते हैं, तो आपको उम्र के बावजूद बच्चे के लिए सीट के लिए पूर्ण किराया देना होगा। कार सीट को सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, लेबलिंग के साथ यह कहता है कि यह वाहनों और विमानों के लिए अनुमोदित है। आप भाग्यशाली हो सकते हैं और इस सीट पर छूट पा सकते हैं, लेकिन इसे मानें नहीं।
आपको बच्चे की उम्र का सबूत देना होगा ; जन्म प्रमाण पत्र ऐसा करने का एक अच्छा तरीका है।
2 की उम्र से कम उम्र के शिशु एक साथ यात्री के साथ यात्रा कर सकते हैं जो कम से कम 16 वर्ष पुराना है, एयरलाइन के आधार पर, चाहे शिशु एक गोद बच्चा है या भुगतान की सीट है।
सभी बच्चों 2 और पुराने की अपनी सीट होना चाहिए।
प्रति वयस्क यात्री शिशुओं की अधिकतम संख्या दो वयस्क है, जिसमें अधिकतम एक गोद बच्चा (प्रति भुगतान सीट के बिना शिशु) प्रति वयस्क है। कुछ देशों में, जैसे कनाडा, नियम केवल एक शिशु प्रति भुगतान यात्री 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों को अनुमति देते हैं, भले ही शिशु एक गोद बच्चा है या एक सशुल्क सीट में है। तो यदि आप संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर उड़ान भर रहे हैं, तो अपने गंतव्य देश के नियमों की जांच करें।
यदि एक शिशु एक सशुल्क सीट पर कब्जा नहीं कर रहा है तो यात्रा शुरू होने के बाद 2 बदल जाता है, नीतियों की एक विस्तृत श्रृंखला है। कुछ एयरलाइंस हवाई किराया चार्ज किए बिना सीट मुहैया कराएंगी, जबकि अन्य लोगों को 2 चालू करने के बाद बच्चे के लिए सीट के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होगी। कुछ एयरलाइनों को आपको अपनी यात्रा के दौरान 2 चालू करने पर पूरी यात्रा के लिए भुगतान करने की आवश्यकता हो सकती है, और यह प्रति दिशा टिकट खरीदने के लिए काम कर सकती है ताकि आपको केवल टिकट के लिए भुगतान करना पड़े; यह केवल घरेलू उड़ानों के लिए काम करता है
शिशुओं को आम तौर पर चिकित्सा अनुमोदन के बिना यात्रा करने की अनुमति दी जाती है जब तक कि वे कम से कम 7 दिन पुरानी हों
अधिकांश एयरलाइंस आपको गेट पर एक ढहने वाले घुमक्कड़ की जांच करने और विमान से बाहर निकलने के दौरान इसे लेने की अनुमति देती है । हालांकि, आप हवाई अड्डे पर पहुंचने से पहले इस पर जांच करना एक अच्छा विचार है


शिशु किराया :-

डेल्टा, यूनाइटेड एयरलाइंस, जेटब्लू एयरवेज, अलास्का एयरलाइंस, स्पिरिट एयरलाइंस, फ्रंटियर एयरलाइंस, एलेजिएंट एयरलाइंस और वर्जिन अमेरिका शिशु किराए की पेशकश नहीं करते हैं, इसलिए यदि आप इन वाहकों में से किसी एक पर उड़ान भर रहे हैं, तो आपको अपने लिए एक पूर्ण किराया देना होगा बच्चे अगर आप उड़ान के दौरान कार सीट का उपयोग करने का फैसला करते हैं

साउथवेस्ट एयरलाइंस 2 वर्षों के तहत बच्चों के लिए सस्ती शिशु किराए पर कॉल करता है जब वे एक अनुमोदित कार सीट में बैठते हैं । किराया वाहक की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं; माता-पिता को शिशु किरायों को बुक करने के लिए 800-435-9792 को कॉल करना होगा

अमेरिकी एयरलाइंस घरेलू और अंतरराष्ट्रीय शिशु किराया प्रदान करता है । अंतर्राष्ट्रीय शिशु किराया 90 प्रतिशत छूट दी जाती है । किराए को बुक करने के लिए माता-पिता को 800-433-7300 को कॉल करना होगा; यह वेबसाइट पर नहीं किया जा सकता है

हवाईअड्डा एयरलाइंस घरेलू उड़ानों पर उड़ने वाले शिशुओं के लिए पूर्ण वयस्क किराया शुल्क लेता है और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एक विशेष बाल किराया प्रदान करता है; इन टिकटों के लिए 800-367-5320 पर कॉल करें

अंतरराष्ट्रीय उड़ानें :-

एक गोद बच्चे के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर एक शिशु लेने वाले लोगों के लिए, एयरलाइंस की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं । अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर सीट के बिना यात्रा करने वाले शिशुओं को वयस्क किराया का 10 प्रतिशत चार्ज किया जाता है । अंतरराष्ट्रीय जेटब्लू उड़ानों पर गोद शिशुओं को लागू शुल्क और करों का भुगतान करना आवश्यक है और उन फीस और करों के संग्रह को प्रदर्शित करने वाला टिकट जारी किया जाना चाहिए । अलास्का एयरलाइंस पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय स्थान से यात्रा करते समय गोद शिशुओं को शुल्क लिया जाता है




हवाई जहाज़ का रोचक तथ्य * Airplane  Facts in Hindi


1.        हवाई जहाजों (Aeroplane) को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि इनपर आसमानी बिजली गिरने का भी असर नहीं होता 

2.        साल में एक बार हर हवाई जहाज पर आसमानी बिजली जरूर गिरती है लेकिन 1963 के बाद से जहाजों पर बिजली गिरने से एक भी हादसा नहीं हुआ है |

3.       हवाई जहाज में पीछे की बीचों बीच वाली सीट सबसे ज्यादा सुरक्षित होती है यानि प्लेन हादसे के दौरान केवल यही सीट सबसे ज्यादा सेफ होती है |

4.       कुछ हवाई जहाजों में सीक्रेट बेडरूम भी होते हैं जहाँ प्लेन के कर्मचारी आराम कर सकते हैं |

5.       कुछ लोग मानते हैं कि हर हवाई उड़ान के बाद हवाई जहाज (Air Plane) के टायर बदले जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है) हवाई जहाज के टायर 38 टन वजन तक सह सकते हैं और 170 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से जमीन पर भी उतर सकते हैं) सैकड़ों उड़ान भरने के बाद अगर टायर खराब होते हैं तभी बदले जाते हैं  | हवाई जहाज के टायर बदलने के लिए भी जैक का ही इस्तेमाल किया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कार का टायर बदला जाता है |

6.        रात में प्लेन लैंडिंग के दौरान प्लेन के अंदर की लाइट डिम कर दी जाती है ताकि प्लेन से उतरने के बाद यात्रियों की आखों पर जोर ना पड़े |

7.        प्लेन में दो इंजन होते हैं लेकिन प्लेन एक इंजन पर भी आराम से चल सकता है |

8.        प्लेन के बाथरूम में ashtrays यानि राख भी रखी होती है ताकि अगर कोई सिगरेट जलाता है तो उसे बुझाई जा सके) प्लेन में स्मोकिंग allow नहीं है |

9.       प्लेन की खिड़की के शीशों में एक बहुत छोटा छेद होता है, दरअसल ये छेद प्लेन में प्रेशर को maintain करता है |

10.   ज्यादातर लोगों को शिकायत होती है कि प्लेन में खाना बहुत गन्दा होता है लेकिन इसमें प्लेन फ़ूड की कोई गलती नहीं है) दरअसल ऊँचाई पर जाकर वातावरण बदल जाता है) वहाँ मीठी चीज़ें भी कम मीठी लगती है और नमकीन चीज़ें कड़वी जैसे लगने लगती हैं |

11.   हर प्लेन में यात्रियों के लिए ऑक्सीजन मास्क होते हैं लेकिन कोई ये नहीं जानता कि ऑक्सीजन मास्क में केवल 15 मिनट लायक ही ऑक्सीजन होती है |

12.   आसमान में प्लेन के पीछे सफ़ेद धुआँ सा दिखाई देता है वो दरअसल प्लेन के इंजन द्वारा छोड़ी गयी जलवाष्प (भाप) होती है |

13.    प्लेन का सबसे खतरनाक एक्सीडेंट 1977 में हुआ था) जब दो फुल भरे प्लेन जिनमें 600 यात्री सवार थे, जो आमने सामने रनवे पर एक दूसरे से टकरा गये थे और 500 लोगों की मौत हो गयी |

14.   पर्यावरण में जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ती जायेगी हवाई जहाजों की समस्या बढ़ती जायेगी |

15.    इंग्लिश प्लेन की इंटरनेशनल भाषा है | प्लेन में काम करने वाले कर्मचारियों और अन्य सभी लोगों को इंग्लिश आना बेहद जरुरी है|

16.   कुछ प्रमुख एयरलाइंस में पायलट और सह * पायलटों को एक जैसा खाना खाने की अनुमति नहीं होती क्यूंकि अगर एक की तबियत खराब हुई तो दूसरा प्लेन उड़ा सके |

                            Biodata of Ranu mandal

                              Biodata of Prabhas


17.    दुनिया का सबसे बड़ा यात्री प्लेन Airbus A380 है जिसमें चार इंजन लगे हैं |

18.   रिसर्च के अनुसार 80% एक्सीडेंट जहाज के उड़ान भरने के पहले 3 सेकेण्ड में और प्लेन लैंडिंग के अंतिम 8 मिनटों में होते हैं |

19.    पायलटों की दृष्टि यानि विजन 20/20 होनी आवश्यक है |


20.    अगर हवाईजहाज में प्रेशर बढ़ जाये और उड़ान के दौरान ही प्लेन के दरवाजे खुल जायें तो सारा सामान और लोग बाहर की तरफ गिरने लगेंगे लेकिन विमान को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें प्रेशर बढ़ना और उड़ान के दौरान दरवाजों का खुलना असंभव है | 

21.    हर साल प्लेन क्रेश से ज्यादा तो लोग प्लेन से होने वाले जहरीले प्रदूषण की वजह से मरते हैं  |





( मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य - Airplane History Facts in Hind  जरुर पसंद आई होगी | मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य - Airplane History Facts in Hind  के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है |






इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे | यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं |


यदि आपको यह post हवाई जहाज़ का इतिहास और रोचक तथ्य - Airplane History Facts in Hindi  हिंदी में पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये|

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
Nice post