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Hyperloop क्या है - Hyperloop Technology Kya Hai

 

Hyperloop Technology Kya Hai, Hyperloop Kya Hai?

 

हेल्लो दोस्तों कैसे है आप ? खाबरिदुनियां (KhabariDuniyaaa) में आपका स्वागत है _/\_ .

आज मैं आपको Hyperloop Technology के बफ्रे में बताने वाला हूँ की Hyperloop Technology क्या हैं, Hyperloop Technology कैसे कम करता हैं, Hyperloop Technology कैसे कम करता हैं, Hyperloop Technology से क्या फ़ायदा हैं, Hyperloop Technology से क्या नुकसान हैं?


 

 

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इस सुपर फास्ट लाइफ में टाइम की वैल्यू काफी ज्यादा बढ़ गई है और टाइम को ट्रैफिक जाम जैसी सिचुएशंस में व्यस्त होने से बचाने के लिए नए नए विकल्प भी आ रहे हैं।

तभी तो हम बैलगाड़ी से Bullet और मैग्लेव ट्रेन तक का सफर तय कर पाए हैं और अभी इस से भी आगे निकल जाने की तैयारी का नाम है Hyper Technology ,ये Hyper Technology  बहुत ही नई और काफी रोमांचक है।

Hyperloop technology kya hai, इसके बारे में जानने के बाद आप सोचने लगेंगे कि क्या वाकई में आप बहुत जल्दी ऐसे vehicle में बैठ सकेंगे, जो bullet train की स्पीड को भी मात दे देगा और उसका structure और उसकी journey भी इतनी exciting  होगी । आइये जानते है hyperloop kya hai.

 

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Hyperloop kya hai ?

Hyperloop क्या है ?

Hyperloop एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें एक कैप्सूल जैसा कंपार्टमेंट होता है ( जिसे पॉड कहा जाता है ) जो एक वैक्यूम ट्यूब ( जिसे लूप कहा जाता है) के अंदर बहुत ही हाई स्पीड से चलती है। हाइपरलूप  नाम  इसे इसलिए दिया गया है क्योंकि इसमें परिवहन लूप के माध्यम से होता है। जो कि रेगुलर विकल्प में आने वाली दो ऐसे मेजर प्रॉब्लम्स को दूर करती है जिनसे व्हीकल की स्पीड बहुत कम हो जाती है और यह प्रॉब्लम है Friction  और Air resistance तो इस टेक्नोलॉजी में Friction और Air resistance की प्रॉब्लम दूर होने से सुपर फास्ट स्पीड हासिल की जा सकती है।

 

MAGLEV TRAIN या मैग्नेटिक सस्पेंशन ट्रेनों के विकास पर पहले से काम चल रहा है इसमें चुंबक के सहारे ट्रेन पटरी के उपर पर चलती है इससे दोनों के बीच रगड़ कम हो जाती है और रफ्तार बढ़ जाती है ऐसी एक ट्रेन शंघाई से उसकी एयरपोर्ट के बीच 430 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है लेकिन अब इस ट्रेन को चुंबकीय वैक्यूम ट्यूब के अंदर चलाया जाएगा जिसे HYPERLOOP का नाम दिया गया है ।

 

Hyperloop दिखते कैसे हैं ?

Hyperloop में एक लंबी vacuum tube होती है और capsule जैसे compartment होते हैं, जिन्हें port कहा जाता है। यह ports vacuum tube के अंदर हाई स्पीड से चलते हैं।

इन् tubes को Loop कहा जाता है और क्यों किस टेक्नोलॉजी में ट्रांसपोर्ट loop मंं ही होता है। इसीलिए इस टेक्नोलॉजी को Hyperloop Technology का नाम दिया गया है।

imagine करके देखिए कि आप स्टील के बने vacuum tube में बैठे हैं और सुपर फास्ट स्पीड से एक Loop में सफर कर रहे हैं। सोचने में ही कितने एक्साइटेड है |

 

Hyperloop का स्पीड कितना होता है ?

हाइपरलूप टेक्नोलॉजी में स्पीड 760 Mph यानि 1200 किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर रहती है|

 

HYPERLOOP कैसे काम करती है?

HYPERLOOP Kaise Kam Karti Hai ?

इस हाइपरलूप में दो तरह के टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।

1. चुम्बकीय निलंबन

चुम्बकीय निलंबन (magnetic levitation ) को आप आसानी से समझ सकते हैं की गुरुत्वाकर्षण  बल और अन्य बल को इस तरह से चुंबकीय बल के बराबर कर देना कि जो चीज जहां है वही रहे ना दाय जाए ना बाए ना ऊपर ना नीचे।

 

अगर आप साइंस पढे हैं तो आप चुंबक के गुण के बारे में जानते होंगे इसमें दो पोल होते है एक साउथ पोल और एक नार्थ पोल जब दो समान पोल को एक साथ रखते हैं तो दोनों एक दूसरे को धक्का देती है इसी तकनीक को इसमें प्रयोग किया जाता है।

अब होता यह है कि वैक्यूम चेंबर के अंदर पूरा चुंबकीय पटरी बिछाया जाता है और जब इसमें से सामान पोल वाले उस कैप्सूल को पास कराया जाता है तो वह आगे बढ़ती है लेकिन हवा मे ही रहती हैं और घर्षण भी नहीं होती है जिससे स्पीड भी बहुत ज्यादा मिलती है ।

 

2. एयर प्रेशर

इसमें एक और टेक्नोलॉजी यूज़ होती है जिसे हम एयर प्रेशर कहते हैं जैसा कि एयर हॉकी में होता है।

जो कंपार्टमेंट उस लूप में चलेगी जिसे हम और पॉड कहते हैं उसके पीछे के हिस्से में बैटरी होती है उस उस बैटरी पर चलती है एक कंप्रेसर फैन जो पॉड के आगे के हिस्से में होती है जिससे उस पॉड को ज्यादा थ्रस्ट मिलती है और लो एयर प्रैशर के कारण बहुत अच्छी स्पीड प्राप्त कर लेती है।

 

चुंबकीय बल और लो एयर प्रेशर के कारण इसका स्पीड औसतन 900किलोमीटर प्रति घंटा और उच्चतम स्पीड 1223 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। हम जानते हैं की साउंड साउंड का स्पीड 1235 किलोमीटर प्रति घंटा होती है तो लगभग लगभग हाइपरलूप की स्पीड कहीं ना कहीं साउंड की स्पीड के बराबर है।

 

Hyperloop का idea कब और कहाँ से आया ?

हाइपरलूप का आइडिया लगभग 200 साल पुराना है। जी हां, क्योंकि 1799 ब्रिटिश इन्वेंटर जॉर्ज मेडहर्स्ट (George Medhurst) ने ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के तौर पर एयर प्रणोदन ट्यूब (Air Propulsion tube) का पेटेंट करवाया था और उसके इतने साल बाद 2013 में Tesla Motors और Space X के सीईओ एलॉन मुस्क (Alon Musk) ने हाइपरलूप का डिजाइन बनाया, उनके इस आइडिया और डिजाइन को पूरे वर्ल्ड में अच्छा रिस्पांस मिला।

 

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एलॉन मुस्क (Alon Musk) का कहना है कि hyperloop porys ट्रेन से ज्यादा फास्ट होंगे। कार से ज्यादा सेफ होंगे और एयरक्राफ्ट की तुलना में एनवायरमेंट को कम नुकसान पहुंचाएंगे। एलोन मस्क का आईडिया यानी Hyperloop एक ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी है। इसका मतलब यह हुआ कि हाइपरलूप बनाने का राइट एलोन मस्क ने सबके साथ शेयर किया है ताकि हाइपरलूप बनाने का काम प्रोग्रेसिव रहे और जल्दी से जल्दी हाइपरलूप दुनिया के सामने आ सके।

 

उसी का नतीजा है कि आज बहुत सारी कंपनी हाइपरलूप बनाने में जुट गई है जैसे कि वर्जिन हाइपरलूप 1 ,HTT,  ट्रांसपोर्ट जैसी कंपनियां हाइपरलूप बनाने का फंडामेंटल आईडिया तो इन कंपनीज का सीन ही रहेगा, लेकिन इसे बनाने में यूज होने वाली टेक्नोलॉजी में थोड़ा डिफरेंस जरूर देखने को मिलेगा।

 

 

यानी हल्के से ट्विस्ट के साथ तो बहुत जल्दी ही बहुत से Hyperloop हमारे सामने होंगे, और अभी वर्जिन हाइपरलूप वन प्राइवेट कंपनी हाइपरलूप प्रोजेक्ट को बहुत जल्द साल 2021 तक शुरू करने का इरादा रखती है।


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Hyperloop के आने से क्या फायदा होगा ?

Hyperloop तकनीक के फायदे एवं नुकसान क्या है ?

Hyperloop तकनीक के फायदे

यह तकनीक परिवहन की बहुत तेज गति प्रदान करता  है। जो हवाई जहाज से तेज है और बुलेट ट्रेन के दोगुना है। घंटो का सफर मिंटो में पूरा कर सकते हैं। इस में बैठने के बाद अब डायरेक्ट अपने डेस्टिनेशन पर ही पहुंचेंगे क्योंकि ट्रैन की तरह यह बीच-बीच में स्टॉपेज पर नहीं रुकेगी।

इसमे बहुत कम बिजली की खपत है। लूप के ऊपर सोलर प्लेट लगा हुआ रहेगा जिससे पॉड बिजली मिलेगी और बैट्री चार्ज होगा।

यह लंबी दूरी पर कम लागत वाली परिवहन व्यवस्था है।

यह खराब मौसम की स्थिति के लिए प्रतिरक्षा है

यह भूकंप (earthquack) के लिए प्रतिरोध है।

एनवायरमेंट फ्रेंडली है यानिकि , इससे कोई  pollution नही होगा।

कम लागत में बनने के कारण इससे सफर करने की टिकट सस्ती होगी।

 

 

Hyperloop technology के नुकसान

इस टेक्नोलॉजी की exciting benifits को जानने के बाद इसके कुछ साइड इफेक्ट भी जानना यहां पर बहुत जरूरी है। कैप्सूल में बहुत कम इस पीस होने की वजह से मूवमेंट (इधर-उधर) करना पॉसिबल नहीं होगा ।

शुरुआत में हो सकता है कि इस टेक्नोलॉजी के इंप्लीकेशन के लिए बहुत से पेड़ काटने पड़े। ऐसा हुआ तो बहुत ही नुकसानदायक होगा।

उच्च गति लगभग लगभग ध्वनि की गति से चलने पर यात्रियों को चक्कर भी आ सकती है

इसमें बहुत ही सीमित स्थान होगा जिससे यात्री इधर-उधर नहीं कर सकते हैं।

ट्रैक के लिए स्टील का प्रयोग होता है तापमान के बदलने पर इसका आकार भी बदलता है यह भी एक चिंताजनक बात है।

 

Hyperloop india

भारत में हाइपरलूप तकनीक

2017 के फरवरी महीने में एक सेमिनार आयोजित किया गया था "हाइपरलूप वन कंपनी" के द्वारा जिसमें कई देशों को न्योता दिया गया था लेकिन प्रस्ताव मात्र 90 देश से आए और इसमें भारत भी शामिल था। भारत के पांच कंपनी इसमें अपना इंटरेस्ट दिखाते हुए अपना अपना मार्ग भी तय कर लिया की कौन किस मार्ग पर अपनी 'हाइपरलूप ट्रेन' चलाएंगे।

 

अभी मुंबई से पुणे के बीच 1 मार्ग हाइपरलूप ट्रेन के लिए बनाने की बात चल रही है बहुत ही जल्द हमारे काम में आएंगे। और हम मुंबई से पुणे 15 से 20 मिनट में पहुंच जाएंगे जिसकी दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर है और बस से या ट्रेन से 2 से 3 घंटे लग जाती है।

 

interesting facts about hyperloop

Hyperloop में बैठने के बाद कैसा feel होगा ?

लेकिन क्या आपको पता है कि हाइपरलूप में पोर्ट के अंदर बैठकर कैसा फील करेंगे तो इस में बैठने के बाद आपको वैसा ही फील होगा जैसा कि एलिवेटर या पैसेंजर plain में बैठे टाइम होता  है |

 

अंतिम शब्द :-

मैं आशा करता हूँ की आपको मेरा पोस्ट HYPERLOOP क्या है पसंद आई होगी | अगर HYPERLOOP के बारे में और भी कुछ जानकारी चाहिए तो आप कमेंट करके बताये | मैं आपको रिप्लाई जरुर दूंगा | और साथ ही साथ इस पोस्ट को शेयर जरुर करे धन्यवाद |

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