Hima Das Biography In Hindi हिमा दास का जीवन परिचय |
हिमा दास का जीवन परिचय (Introductio of Hima Das) :-
असम की रहने वाली हिमा दास ने World U-20 Championships 2018, फ़िनलैंड में स्वर्ण पदक जीतकर रातोंरात सुर्ख़ियों में आ
गयी थी | हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का
समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता. उनके पीछे रोमानिया की एंड्रिया मिक्लोस 52.07 सेकेंड के साथ दूसरे और अमरीका की टेलर मैनसन 52.28 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रही थी | हिमा दास ने ऐसा ही
प्रदर्शन जकार्ता में हुए 18वें एशियन गेम्स में भी जारी रखा | 2019 me उन्होंने 21 दिन में 6 गोल्ड मैडल जीतकर पूरे देश का नाम दुनिया में रोशन कर दिया
था |
हिमा के बारे मे कुछ जानकारी
नाम (Name)
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हिमा दास
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निक नाम (Nick Name)
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हिमा , मोन जय , गोल्डन गर्ल,ढिंग एक्सप्रेस
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पिता (Father)
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रोंजित दास (किसान)
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माता (Mother)
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जोमाली देवी
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सदस्य (Family Mambers)
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16
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प्रसिध्द (Famous)
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विश्व स्तर पर ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जितने
के लिए
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कार्य (Profession)
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एथलिट
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जन्म तारीख (DOB)
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9 जनवरी
2000
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आयु (Age) ( 2019)
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19वर्ष
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जन्म स्थान (Birth Place)
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धिंग, नागों , आसाम
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लम्बाई (Height) (लगभग)
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165 cm में
1.65 Mit में
5.5 feet में
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वजन / भार(Weight)
(लगभग)
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55 Kg
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शारीरिक बनावट (Body stracter)
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32 – 36 – 34
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आँखों का रंग (Eye’s color)
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काला
Black
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बालों का रंग (Hair Color)
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काला , भूरा
Black , Brown
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नागरिकता (Nationality)
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इंडियन
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होमटाउन (Home Town)
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गाँव ढिंग ,
जिला नागांव
(असम)
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धर्म (Religion)
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हिन्दू
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जाति (caste)
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बेंगोली कायस्थ
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हॉबी (Hobbies)
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फुटबॉल , शूटिंग , संगीत , फिल्म देखना
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पसंदीदा ट्रैक एथलीट (Favorite Track Athilist)
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अश्विनी अक्कुनजी
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पसंदीदा फूटबोल खिलाड़ी (Favorite Footboll
Player)
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Nicolas Velez
(अर्जेंटीना)
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पसंदीदा सिंगर (Favorite Singer)
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जुबिन गर्ग
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पसंदीदा फ़िल्म (Favorite Films)
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मोन जय , मिशन चाइना
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पसंदीदा अभिनेता (Favorite Actor)
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विक्की कौशल
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पसंदीदा अभिनेत्री (Favorite Actress)
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आलिया भट्ट
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पसंदीदा खाना (Favorite Food)
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स्प्रिंग रोल
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पसंदीदा जगह (Favorite Destination)
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शिमला
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पसंदीदा रंग
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पिंक , ग्रीन
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मेरीटियल स्टेटस (Marital
status)
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अविवाहित
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हिमा दास का जन्म , परिवार और शिक्षा (Hima Das Birth , Family and Education ):-
जन्म :- हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नागाव जिले के
ढिंग में हुआ था |
परिवार :- हिमा एक दलित परिवार
से हैं | हिमा के पिताजी का नाम रोंजित दास है | वह खेती का काम करते हैं | हिमा की
माताजी का नाम जोमाली दास हैं | वह एक गृहणी हैं | उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं | घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि बस अपने
खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती थी. परिवार में हिमा और उनके माता-पिता के अलावा 5 भाई और बहन हैं |
शिक्षा :- हिमा ने अपनी
शुरूआती पढाई ढिंग गाँव से ही की. खेलों में रूचि होने के कारण हिमा अपनी पढाई
जारी नहीं रख पाई |
https://khabariduniyaaa.blogspot.com/2019/06/6000-1-stallion-mare-colt-filly-ponies.html
https://khabariduniyaaa.blogspot.com/2019/07/amitabh-bachchan-jivani-in-hindi.html
हिमा दास का जीवन संघर्ष और करियर (Struggle Story and Career of Hima das)
Ø हिमा बचपन से ही नौगांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते
हैं | वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है. जब हिमा गांव में रहती थी तो बाढ़ की वजह
से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़
की तैयारी करती, बाढ़ में वह पानी से लबालब हो जाता |
Ø शुरुआत में हिमा को फ़ुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव या ज़िले के आस पास छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच
खेलकर 100-200 रुपये जीत लेती थी. फ़ुटबॉल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से हिमा का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर करने में कामयाब रहीं. | 2016 में उनके एक फिजिकल एजुकेशन के टीचर ने उनसे कहा की फुटबॉल
में लडकियों के लिए करियर बनना इतना आसान नही है उन्हें एकल स्पर्धा में ध्यान
देना चाहिए |
Ø
हिमा ने जवाहर नवोदय विद्यालय
के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया |
Ø उन्होंने 3 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर
कदम रखा था | उनके पास पैसों की उनके थी, लेकिन कोच ने उन्हें ट्रेन कर मुकाम
हासिल करने में मदद की |
Ø कुछ समय बाद इन्होंने गुवाहाटी स्टेट लेवल चैंपियनशिप में
हिस्सा लिया और बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के 100 मीटर की रेस
में कस्य पदक जीता |
Ø इसके बाद नाबाजित मलारकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में
हिस्सा लेने के लिए हिमा को कोयंबटूर लेकर गए , यहाँ पर हिमा फाइनल राउंड तक
पहुँच गई , इस राउंड तक पहुचने के लिए एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरुरत
होती है , पर हिमा बिना किसी ट्रेनिंग के फायनल तक पहुच गई |
Ø इसके बाद हिमा दास के कोच , नाबजित मलारकर और निपुण दास ने
हिमा के पिता से हिमा को ट्रेनिंग के लिए गुवाहाटी ले जाने की अनुमति मांगी | फिर
हिमा की ट्रेनिंग की शुरुआत हुई | हिमा ने कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और इनके
प्रदर्शन को देख कर इन्हें पटियाला नेशनल कैंप में दाखिला मिला |
सफलता की कहानी (Success Story) :
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हिमा फ़ेडरेशन कप में 400 मीटर में दौड़ी और गोल्ड मैडल जीता और कॉमनवेल्थ गेम के लिए
अपना रास्ता बनाया | आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 कॉमनवेल्थ गेम में ये छटवे वे स्थान पर रही |
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वर्ल्ड चैंपियनशिप में दौड़ कर
विजय प्राप्त की और यहाँ पर गोल्ड जीत कर खुद को साबित कर दिया | हिमा का सपना है
कि वे ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम में इंडिया के लिए गोल्ड जीते |
अवार्ड्स और अचीवमेंट ( Awards and Achievments ) :
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हिमा दास ने आईएएएफ वर्ल्ड में
अंडर 20 एथलीट चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस 46 सेकेंड में दौड़ कर जीत हासिल की और फिनलेंड के टामपेर में
गोल्ड मैडल विजेता रही.
·
ये कॉमन वेल्थ गेम में 400 मीटर की रेस 32 सेकंड में
पूरा कर के 6 वे नंबर पर रही . अभी हाल ही में इन्होंने भारत में
गुवाहाटी में नेशनल इंटरस्टेट चैंपियनशिप में अंडर 20 वर्ग में
गोल्ड मैडल जीता
.फिनलैंड विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप (Finland Under-20 Championship)
रेस के शुरुआती 35 सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, शायद ही किसी ने उन्हें फ़िनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते
हुए देखा होगा. लेकिन एक शख्स थे जिन्हें हिमा की इस रेस का बेसब्री से इंतज़ार
था. वे थे उनके कोच निपुण दास. हिमा के यूं अंतिम वक़्त में रफ़्तार पकड़ने पर
निपुण दास कहते हैं, “रेस में जब आखिरी 100 मीटर तक
हिमा चौथे स्थान पर थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि वह इस बार गोल्ड ले आएगी, मैं उसकी तकनीक को जानता हूं वह शुरुआत में थोड़ी धीमी रहती
है और अपनी पूरी ऊर्जा अंतिम 100 मीटर में लगा देती है. यही
उसकी खासियत है.”
निपुण कहते हैं, “हिमा को ट्रैक के कर्व (मोड़) पर थोड़ी समस्या होती है यह
बहुत हल्की सी दिक्कत है. यही वजह है कि शुरुआत में वह हमेशा पीछे ही रहती है
लेकिन जब ट्रैक सीधा हो जाता है तो वह तेज़ी से रिकवर करते हुए सबसे आगे निकल जाती
है.”
18वे एशियाई खेल (18th Asian Games)
18 वर्षीय हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था. पूरे देश को
एशियाई खेलों में भी उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और वह इसकी दावेदार भी थीं.
लेकिन सेमीफाइनल में उनके फाउल होने के कारण भारत के पदक जीतने की उम्मीदों को
झटका लगा. और हिमा को इस प्रतिस्पर्धा में रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा. फाइनल
रेस में उन्होंने 50.79 सेकेंड के समय निकाला. हिमा ने शानदार दौड़ लगाई.
पोलैंड दौरा
हिमा दास ने 2019 में पोलैंड में आयोजित हो रही प्रतियोगिता में 2 स्वर्ण पदक हासिल किये. यह दोनों पदक उन्हें 200 मीटर की रेस में प्राप्त हुए. हिमा को पहला पदक 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता जबकि
दूसरा 7 जुलाई को कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में
पूरा कर जीता.
चेक रिपब्लिक दौरा
पोलैंड में जिस तरह का
प्रदर्शन हिमा ने किया था उसकी तरह का प्रदर्शन उन्होंने चेक रिपब्लिक में किया.
इसके साथ ही उन्होंने मात्र 19 दिन में 5 लगातार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया हैं. जिसमे 2 पदक उन्होंने पोलैंड में और 3 पदाक चेक
रिपब्लिक में हासिल किये. हिमा ने क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट और ताबोर एथलेटिक्स मीट
की 200 मीटर की क्षेणी में और नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री
में 400 मीटर की क्षेणी में स्वर्ण पदक हासिल किया.
21 दिन 6 पदक
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पहला स्वर्ण पदक : 2 जुलाई- पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता.
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दूसरा स्वर्ण पदक : 7 जुलाई- पोलैंड में कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में
पूरा किया.
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तीसरा स्वर्ण पदक : 13 जुलाई- चेक रिपब्लिक में क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23.43 सेकेंड में पूरी की.
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चौथा स्वर्ण पदक : 17 जुलाई- चेक रिपब्लिक में ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23.25 सेकंड के साथ जीती.
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पांचवा स्वर्ण पदक : 20 जुलाई – ‘नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री’ में हिमा ने 400 मीटर की रेस
52.09 सेकंड में पूरी करके जीती.
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छठा स्वर्ण पदक
:
हिमा से जुड़े कुछ विवाद ( Controversy ) :
हिमा एक छोटे शहर की साधारण परिवार की लड़की है , हिमा की शिक्षा एक गाँव के छोटे के स्कूल से पूरी हुई है | एथलेटीक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने
हिमा के स्वर्ण पदक जितने से पहले हिमा को अंग्रेजी भाषा अच्छे से नही आने के लिए
मजाक उड़ाया था , बाद में उन्होंने जब स्वर्ण पदक हासिल किया तब हिमा से
ट्विटर पर ट्विट किया और उनसे माफी मांगी |
हिमा दास से जुड़े रोचक तथ्य (Hima Das Facts)
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हिमा बचपन से ही फुटबॉल खेलना
पसंद करती थी , वे बचपन से मिटटी में लडको के साथ फुटबॉल खेलती थी . हिमा
के कोच ने उन्हें अंतर जिला बैठक के दौरान देखा हिमा हवा की तरह दौड़ रही थी
उन्होंने कहा मैंने आज तक ऐसी प्रतिभा नही देखी .
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कोच ने हिमा को एथलिट में अपना
करियर बनाने का सुझाव दिया . कोच ने उन्हें गाँव से दूर गुवाहाटी जाने को कहा इस
बात के लिए हिमा के माता पिता पहले तैयार नही थे , बाद में उन्होंने हिमा को
सहमती दी .
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गोल्ड मैडल जितने के बाद स्वयं
नरेन्द्र मोदी और राम नाथ कोविंद ने इन्हें ट्विटर पर बधाई सन्देश दिया . इसके
अलावा भी ये फेसबुक और ट्विटर पर छाई रही.
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उपनाम (Nick Name) ढिंग एक्सप्रेस
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खेल (Sport) ट्रैक एंड फील्ड
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प्रतिस्पर्धा (Compitition) 400 मीटर
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कोच (Couch) निपोन दास
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व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ (Best Performance) 400 मीटर: 50.79 (एशियन गेम्स 2018) जकार्ता
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100 मीटर- (11.74 सेकेंड में)
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200 मीटर- (23.10 सेकेंड में)
हिमा एक होनहार और मेहनती खिलाडी है इन्होने बहुत कम उम्र
में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है , हम इन्हें शुभकामनाएँ देते है
कि इनका सपना पूरा हो और ये भारत का नाम पुरे विश्व में रोशन करे , हम इनके उज्जवल भविष्य के लिए कामना करते है |
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