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पृथ्वीराज चौहान की जीवनी हिंदी में, पृथ्वीराज चौहान की बायोग्राफी Prithviraj chauhan biography in hindi


Prithviraj Chauhan Life History in Hindi 

पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

Prithviraj Chauhan biography in hindi :-



दोस्तों आज के इस लेख में हम अजमेर और दिल्ली के प्रतापी राजा पृथ्वीराज (Prithviraj Chauhan) के जीवन के बारे में जानेंगे ! तो चलिए जानते है पृथ्वीराज चौहान का इतिहास (history of Prithviraj Chauhan).



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Prithviraj Chauhan’s Introduction

पृथ्वीराज चौहान का परिचय



पृथ्वीराज चौहान एक राजपूत राजा थे जिन्होंने 12 वीं शताब्दी में उत्तरी भारत में अजमेर और दिल्ली के राज्यों पर शासन किया था। वह दिल्ली के सिंहासन पर बैठने के लिए अंतिम स्वतंत्र हिन्दू राजाओं में से एक थे।

इसके अलावा उन्हें राय पिथोरा के रूप में जाना जाता है, वह चौहान वंश के एक राजपूत राजा था। अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के बेटे के रूप में जन्मे, पृथ्वीराज ने अपनी महानता के संकेतों को अपनी उम्र शुरुआती समय में प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था।







Prithviraj Chauhan Biography



Birth and early life of Prithviraj Chauhan

पृथ्वीराज चौहान का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन – 


भारतीय इतिहास के सबसे महान और साहसी योद्धा पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के क्षत्रिय शासक सोमेश्वर और कर्पूरा देवी के घर साल 1149 में जन्में थे। ऐसा कहा जाता है कि वे उनके माता-पिता की शादी के कई सालों बाद काफी पूजा-पाठ और मन्नत मांगने के बाद जन्में थे।

वहीं उनके जन्म के समय से ही उनकी मृत्यु को लेकर राजा सोमेश्वर के राज में साजिश रची जाने लगी थी, लेकिन उन्होंने अपनी दुश्मनों की हर साजिश को नाकाम साबित किया और वे अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ते चले गए। राज घराने में पैदा होने की वजह से ही शुरु से ही पृथ्वीराज चौहान का पालन-पोषण काफी सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण अर्थात वैभवपूर्ण वातावरण में हुआ था।





Prithviraj Chauhan's war and weapons education: -


पृथ्वीराज चौहान का युद्ध और शस्त्र विद्या शिक्षा :-

उन्होंने सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की थी जबकि युद्ध और शस्त्र विद्या की शिक्षा उन्होंने अपने गुरु श्री राम जी से प्राप्त की थी। पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बेहद साहसी, वीर, बहादुर, पराक्रमी और युद्ध कला में निपुण थे|



शुरुआत से ही पृथ्वीराज चौहान ने शब्द भेदी बाण चलाने की अद्भुत कला सीख ली थी, जिसमें वे बिना देखे आवाज के आधार पर बाण चला सकते थे। वहीं एक बार बिना हथियार के ही उन्होंने एक सिंह को मार डाला था।



पृथ्वीराज चौहान को एक बहादुर योद्धा के रुप में जाना जाता था। बचपन में चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के सबसे अच्छे दोस्त थे, जो उनके एक भाई की तरह उनका ख्याल रखते थे। आपको बता दें कि चंदबरदाई तोमर वंश के शासक अनंगपाल की बेटी के पुत्र थे, जिन्होंने बाद में पृथ्वीराज चौहान के सहयोग से पिथोरागढ़ का निर्माण किया था, जो दिल्ली में वर्तमान में भी पुराने किले के नाम से मशहूर है।






Prithviraj chauhan in hindi



What was the word piercing flooding
आखिर क्या था शब्द भेदी बाढ़ विद्या :-

यह एक ऐसी विद्या थी जिसे काफी प्राचीन काल मैं भारत के कुछ ही राजा जानते थे और ये वो राजा जानते थे जब सनातन धर्म के अलावा कोई और धर्म अस्तित्व मैं नहीं था। परन्तु पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) को युद्ध कला सिखने का इतना शौक था की उन्हें इसके बारे मैं पता चला तो वे इसे सिखने के लिए व्याकुल हो उठे। तब उनकी उम्र बहुत ही काम थी तब उनके गुरु ने कहा की ये विद्या केवल एक जंगल के कबीलों को पता है। पर वे किसी को इसे नहीं सिखाते और उन तक पहुंचना भी बहुत ही कठिन है।

इस विद्या मैं आँख बंद करके केवल आवाज़ पर ही निशाना साधा जाता है और ये निशाना बारीक से बारीक आवाज़ को सुनकर लगाना होता है और निशाना एक बार मैं लगना चाहिए क्यूंकि दूसरा मौका न के बराबर ही मिलता है। और ये विद्या पृथ्वीराज चौहान के वक्त किसी भी और राजा को नहीं आती थी। और पृथ्वीराज चौहान इसी को सिखने की ज़िद पकड़ बैठे थे। आखिरकार पृथ्वीराज चौहान ने इस विद्या को सीख ही लिया और इस विद्या को सीख कर वे लगभग हर विद्या को सीख चुके थे। वे कद काठी मैं बहुत लम्बे चौड़े थे। वो जिस तलवार से लड़ा करते थे उसका वज़न 80 किलो था जिससे वे अपने दुश्मनो को बुरी तरीके से परास्त कर दिया करते थे। कहा जाता है की उनकी तलवार मैं इतना वजन अपने दुश्मन को घोड़े समेत बीच से चीर दिया करते थे। और उनके शब्द भेदी बाढ़ के उपयोग को आप आगे समझ जाएंगे।






Prithviraj Chauhan As King



एक शासक के रुप में पृथ्वी राज चौहान

पृथ्वीराज चौहान जब महज 11 साल के थे, तभी उनके पिता सोमेश्वर की एक युद्ध में मौत हो गई, जिसके बाद वे अजमेर के उत्तराधिकारी बने और एक आदर्श शासक की तरह अपनी प्रजा की सभी उम्मीदों पर खरे उतरे। इसके अलावा पृथ्वी राज चौहान ने दिल्ली पर भी अपना सिक्का चलाया।

दरअसल उनकी मां कर्पूरा देवी अपने पिता अनंगपाल की इकलौती बेटी थी, इसलिए उनके पिता ने अपने दामाद और अजमेर के शासक सोमेश्वर चौहान से पृथ्वीराज चौहान की प्रतिभा को भांपते हुए अपने सम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की इच्छा प्रकट की थी, जिसके तहत साल 1166 में उनके नाना अनंगपाल की मौत के बाद पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठे और कुशलतापूर्वक उन्होंने दिल्ली की सत्ता संभाली।



एक आदर्श शासक के तौर पर उन्होंने अपने सम्राज्य को मजबूती देने के कार्य किए और इसके विस्तार करने के लिए कई अभियान चलाए और वे एक वीर योद्धा एवं लोकप्रिय शासक के तौर पर पहचाने जाने लगे।





Prithviraj Chauhan's huge army



पृथ्वीराज चौहान की विशाल सेना:

अदूरदर्शी शासक पृथ्वीराज चौहान की सेना बहुत बड़ी थी, जिसमें करीब 3 लाख सैनिक और 300 हाथी थे। उनकी विशाल सेना में घोड़ों की सेना का भी खासा महत्व था।



पृथ्वीराज चौहान जी की सेना काफी मजबूत थी एवं अच्छी तरह से संगठित थी, पृथ्वीराज चौहान ने अपनी इस विशाल सेना की वजह से न सिर्फ कई युद्ध जीते बल्कि वे अपने राज्य का विस्तार भी करने में कामयाब रहे। वहीं पृथ्वीराज चौहान जैसे-जैसे युद्ध जीतते गए, वैसे-वैसे वे अपनी सेना को भी बढ़ाते गए।



इतिहास के इस महान योद्धा के पास नारायण युद्ध में सिर्फ 2 लाख घुड़सवार सैनिक, 500 हाथी और बहुत से सैनिक शामिल थे।






पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की अमर प्रेम कहानी – 



Prithviraj Chauhan And Sanyogita Love Story

पृथ्वीराज चौहान और रानी संयोगिता की प्रेम कहानी की आज भी मिसाल दी जाती है, और उनकी प्रेम कहानी पर कई टीवी सीरियल और फिल्में भी बन चुकी है। क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे से बिना मिले एक-दूसरे की तस्वीरों को देखकर मोहित हो जाते हैं और आपस में अटूट प्रेम करते हैं।

 पृथ्वीराज चौहान के अद्भुत साहस और वीरता के किस्से हर तरफ थे, वहीं जब राजा जयचंद की बेटी संयोगिता ने उनकी बहादुरी और आर्कषण के किस्से सुने तो उनके हृदय में पृथ्वीराज चौहानके लिए प्रेम भावना उत्पन्न हो गईं और वे चोरी-छिपे गुप्त रुप से पृथ्वी राज चौहान को पत्र भेजने लगीं।



पृथ्वीराज चौहान भी राजकुमारी संयोगिता की खूबसूरती से बेहद प्रभावित थे और वे भी राजकुमारी की तस्वीर देखते ही उनसे प्यार कर बैठे थे। वहीं दूसरी तरफ जब रानी संयोगिता के बारे में उनके पिता और राजा जयचंद को पता चला तो उन्होंने अपनी बेटी संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर करने का फैसला लिया।



वहीं इस दौरान राजा जयचंद ने समस्त भारत पर अपना शासन चलाने की इच्छा के चलते अश्वमेघयज्ञ का आयोजन भी किया था, इस यज्ञ के बाद ही रानी संयोगिता का स्वयंवर होना था। वहीं पृथ्वीराज चौहाननहीं चाहते थे कि क्रूर और घमंडी राजा जयचंद का भारत में प्रभुत्व हो, इसलिए उसने राजा जयचंद का विरोध भी किया था।



जिससे राजा जयचंद के मन में पृथ्वी के प्रति घृणा और भी ज्यादा बढ़ गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए देश के कई छोटे-बड़े महान योद्धाओं को न्योता दिया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उन्हें न्योता नहीं भेजा, और द्वारपालों के स्थान पर पृथ्वीराज चौहान की तस्वीरें लगा दीं।



वहीं पृथ्वीराज चौहान चौहान, जयचंद की चालाकी को समझ गए और उन्होंने अपनी प्रेमिका को पाने के लिए एक गुप्त योजना बनाई। बता दें कि उस समय हिन्दू धर्म में लड़कियों को अपना मनपसंद वर चुनने का अधिकार था, वहीं अपने स्वयंवर में जिस भी व्यक्ति के गले में माला डालती थी, वो उसकी रानी बन जाती थी।



वहीं स्वयंवर के दिन जब कई बड़े-बडे़ राजा, अपने सौंदर्य के लिए पहचानी जाने वाली राजकुमारी संयोगिता से विवाह करने के लिए शामिल हुए, वहीं स्वयंवर में जब संयोगिता अपने हाथों मे वरमाला लेकर एक-एक कर सभी राजाओं के पास से गुजरी और उनकी नजर द्धार पर स्थित पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर पड़ी, तब उन्होंने द्धारपाल बने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर हार डाल दिया, जिसे देखकर स्वयंवर में आए सभी राजा खुद को अपमानित महसूस करने लगे।



वहीं पृथ्वीराज चौहान अपनी गुप्त योजना के मुताबिक द्धारपाल की प्रतिमा के पीछे खड़े थे और तभी उन्होंने राजा जयचंद के सामने रानी संयोगिता को उठाया और सभी राजाओं को युद्ध के लिए ललकार कर वे अपनी राजधानी दिल्ली में चले गए।



इसके  बाद राजा जयचंद गुस्से से आग बबूला हो गए और इसका बदला लेने के लिए उनकी सेना ने पृथ्वीराज चौहान का पीछा किया, लेकिन उनकी सेना महान पराक्रमी पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने में असमर्थ रहे, वहीं जयचंद के सैनिक पृथ्वीराज चौहान का बाल भी बांका नहीं कर सके।



हालांकि, इसके बाद राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच साल 1189 और 1190 में भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दोनो सेनाओं को भारी नुकसान हुआ।






Prithviraj chauhan Biodata in hindi



Prithviraj Chauhan and Mohammad Ghori's War
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी का युद्ध

वैसे तो यह एक बड़ा विवाद है की महोम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच कितने युद्ध हुए है। पर भारतीय इतिहास मैं कहा गया है की इन दोनों के बीच 18 युद्ध हुए जिसमे की पृथ्वीराज चौहान 17 बार जीते और मोहम्मद गौरी 1 बार जीता। पहले 17  के हर बार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को माफ़ कर दिया पर 1 बार ही युद्ध जीतने वाला मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज को कभी माफ़ न कर सका। लेकिन ये बात भी सत्य है की दरअसल मोहम्मद गौरी ने युद्ध जीता ही नहीं था उसने धोके से पृथ्वीराज(prithviraj chauhan) को घेर लिया और बंदी बना कर के ले गया।



मोहम्मद गौरी एक के बाद एक करके 17 युद्ध हार गया पर हर युद्ध के बाद वो पृथ्वीराज चौहान से माफ़ी मांग लेता था।  वो कहता था की अगर पृथ्वी उसे माफ़ कर देता है तो वो समझेगा की अल्लाह का दीदार उसे पृथ्वीराज के रूप मैं हुआ क्यूंकि अल्लाह हर गलती को माफ़ कर देता है। वहीँ मोहम्मद गौरी दोबारा से पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण करता है इस बार वह इस बार बहुत बड़ी सेना एकत्रित करता है और युद्ध भूमि पहुँच जाता यही इस बार उसकी मदद कन्नौज का राजा जय चाँद कर देता है क्यूंकि वह भी पृथ्वीराज चौहान से चिड़ा हुआ था और बदला लेना चाह रहा था।





जय चंद गौरी को बताता है की इस तरह से तुम पृथ्वीराज चौहान को कभी भी नहीं हरा पाओगे और जीवन ही तुम्हारा  मैं निकल जाएगा और हमेशा ही मुँह की कहते रहोगे। मोहम्मद गौरी कहता है की आप बता दे की किस तरह युद्ध जीता जा सकेगा क्यूंकि मैं नियम को भी टाक पर रख सकता हूँ पर इस बार हार का मुँह नहीं देखूंगा। तो ऐसा कहा जाता है की जय चंद ने मोहम्मद गौरी से कहा की पृथ्वीराज और उसकी सेना सुबह की आरती के वक्त अपने साथ हथियार नहीं ले जाती तो उसी समय वो पृथ्वीराज को पकड़ सकता है।



तो वैसा ही हुआ मोहम्मद गौरी ने अपनी सेना की 5 टुकड़िआ तैयार करि और अलग अलग दिशा मैं फैला दिया। जैसे ही पृथ्वीराज चौहान सुबह की आरती के लिए गए तो अचानक से मोहम्मद गौरी ने हमला कर दिया यह देख आनन् फानन मैं सेना हथियार लेने के लिए भागी पर मोहम्मद गौरी ने उन्हें हर तरफ से घेर लिया और हथियार न होने के कारण पृथ्वीराज की सेना मारी गयी और पृथ्वीराज को घेर लियाऔर कैद कर लिया। पृथ्वीराज को वहां से अरब ले जाया गया पर वो वीर वहां भी नहीं झुका और कहा की मैंने 17 बार तुम्हे माफ़ी की भीक दी है तुम मुझे क्या दे सकते हो…..कुछ नहीं दे सकते गौरी मैं राजपूत हूँ माफ़ी पर नहीं जीता।






Muhammad Gauri burns Prithviraj Chauhan's eyes



मुहम्मद गौरी ने जब जला दी पृथ्वीराज चौहान की आंखे :

पृथ्वीराज चौहान से कई बार पराजित होने के बाद मुहम्मद ग़ोरी अंदर ही अंदर प्रतिशोध से भर गया था, इसलिए बंधक बनाने के बाद पृथ्वीराज चौहान को उसने कई शारीरिक यातनाएं दीं एवं पृथ्वीराज चौहान को मुस्लिम बनने के लिए भी प्रताड़ित किया गया।



वहीं काफी यातनाएं सहने के बाद भी वीर योद्धा की तरह पृथ्वीराज चौहान एक वीर पुरुष की तरह अडिग रहे और दुश्मन के दरबार में भी उनके माथे में किसी भी तरह का सिकन नहीं था इसके साथ ही वे अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने वाले मुहम्मद ग़ोरी की आंखों में आंखे डालकर पूरे आत्मविश्वास के साथ देखते रहे।



जिसके बाद गौरी ने उन्हें अपनी आंखे नीचे करने का भी आदेश दिया लेकिन इस राजपूत योद्धा पर तनिक भी इसका प्रभाव नहीं पड़ा, जिसको देखकर मुहम्मद गौरी का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने पृथ्वीराज चौहान की आंखे गर्म सलाखों से जला देने का आदेश दिया। यहीं नहीं आंखे जला देने के बाद भी क्रूर शासक मुहम्मद गौरी ने उन पर कई जुल्म ढाता गया और अंत में पृथ्वीराज चौहान को जान से मारने का फैसला किया।






Death of Prithviraj Chauhan



पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु :-

मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) को बंदी बनाकर उसे अपने साथ अरब मैं गजिनी ले गया उसे वहां बहुत सी यातनाए दी गयीं पृथ्वीराज के साथ वहां उनके कवी चन्दरबरदोई भी गए थे। यातना इतनी दी गयीं की पृथ्वीराज की आँख तक को फोड़ कर उनमे मिर्च डाली जाती थी पर फिर भी पृथ्वीराज उनके सामने झुकने को तैयार नहीं थे। वो कहते थे की राजपूत हूँ और राजपूत अड़ गया तो अड़ गया और कह गया तो समझो कर गया। एक बार गजिनी मैं उसी समय एक आयोजन हुआ तो कवी चन्दरबरदोई ने गौरी से कहा की मेरे राजा को अपनी विद्या शब्द भेदी बाढ़ का एक नमूना दिखने का मौका दिया जाये। पर गौरी इसपर राजी नहीं हुआ तो चन्दरबरदोई ने कहा की या तो हमें मार दो या मौका दो इस बात पर गौरी मान गया। जब उन्होंने तीर कमान उठाए तो चन्दरबरदोई ने पृथ्वी से कहा की मेरे पास दो कतार हैं एक आपके लिए एक मेरे लिए मैं कविता पद कर सुनाऊंगा उस हिसाब से वार करना गौरी मर जाएगा। और कतार से हम दोनों आत्म ह्त्या कर लेंगे।



चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण

ता उपर सुल्तान है,मत चूको चौहान।।



पृथ्वीराज ने वार किया जो सीधा मोहम्मद गौरी के गर्दन मैं जाकर सर के पार हो गया और पृथ्वीराज और चन्दरबरदोई ने भी आत्मा हत्या कर ली। उनकी मृत्यु के साथ ही उनकी बहादुरी, साहस, देशभक्ति और सिद्धांतों का भी अन्त हो गया था। लेकिन चंदबरदाई के पृथ्वीराज रासो और पृथ्वीराज विजय के जयानक में पृथ्वीराज चौहान के अमर कर्म संकलित हैं।






Prithviraj chauhan Biopic In Hindi Film



पृथ्वीराज चौहान की बायोपिक फिल्म हिंदी में

पृथ्वीराज एक आगामी २०२० भारतीय हिंदी भाषा ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा फिल्म है जिसका निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा किया गया है और आदित्य चोपड़ा ने अपने प्रोडक्शन हाउस यश राज फिल्म्स के तहत निर्मित किया है । यह चौहान के मुख्य भूमिका में चौहान राजा पृथ्वीराज चौहान और सितारों अक्षय कुमार के जीवन के बारे में है, जबकि मानुषी छिल्लर (अपनी फिल्म की पहली फिल्म में) उनकी पत्नी समयुक्ता की भूमिका निभाती हैं । फिल्म की आधिकारिक घोषणा 9 सितंबर २०१९ को की गई थी, जिसने कुमार के 52 वें जन्मदिन के अवसर को सोशल मीडिया पर जारी मोशन पोस्टर के साथ चिह्नित किया था । फिल्म की प्रिंसिपल फोटोग्राफी 15 नवंबर 2019 को शुरू हुई थी, और यह नाटकीय रूप से भारत में 13 नवंबर २०२० को दिवाली त्योहार के दौरान रिलीज होगी ।



Prithviraj chauhan film Release Date



13 नवंबर २०२०





Prithviraj chauhan film  Cast

अक्षय कुमार As पृथ्वीराज चौहान 

मानुषी छल्लर As संयोगिता 

मानव विज As मोहम्मद गौरी के रूप में

आशुतोष राणा As जयचंद्र

सोनू सूद

संजय दत्त


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