चंद्रयान -2 के बारे में जानने से पहले यह जन ले
की चंद्रयान -1 क्या था ? इसे कब भेजा गया
था और क्यों ?
Chandrayaan 1 Information in short in hindi
चंद्रयान-1 2008 भारत द्वारा चंद्रमा पर जाने वाला पहला मिशन था| ये मिशन 22 अक्टूबर 2008 से चलकर सितंबर 2009 यानि की लगभग एक साल तक चला था| वही Chandrayaan-1 को 22 October 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ही अंतरिक्ष में भेजा गया था|
Chandrayaan-1 ने 08 नवंबर 2008 यानि की लगभग 17 दिन में ही चंद्रमा पर पहुचने में सफलता प्राप्त की थी| इस चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन बिताए थे|
इसी मिशन में
चन्द्रमा पर पानी होने के भी संकेत मिले थे|
ISRO के चेयरमैन जी
माधवन नायर ने उस समय यह भी बताया था कि चंद्रयान का मिशन चंद्रमा के कक्ष में
जाना था चन्द्रमा पर नहीं, और उसे चंद्रमा
के कक्ष में ही कुछ मशीनरी स्थापित करनी और भारत का झंडा लगाना था|
Chandrayaan 2 क्या है ? Chandrayaan 2 Information in hindi
अगर इसरो की
मानें तो चंद्रयान-2 का को चांद पर
भेजने का मिशन वहाँ की चट्टानों को देखना और उसमें मैग्निशियम, कैलशियम और आयरन जैसे खनिजों को ढूंढने का
प्रयास करना है इसी के साथ साथ चंद्रमा पर पानी के होने के संकेत की तलाश करना और
पारा तथा दूसरे धातु खोजना इस Chandrayaan-2 का मेन मिशन होने वाला है| तो अब तो आप समझ
ही गए होंगे कि Chandrayaan-2 को चंद्रमा पर
क्यों भेजा जा रहा है।
चंद्रयान 2 कब लॉन्च किया गया था ? – दिनांक और समय | (Chandrayaan 2 kab launch hua)
चंद्रयान 2 को दिनांक 22 जुलाई 2019 को समय दोपहर 2 बजकर 43 मिनिट पर सफलतापूर्वक Launch किया गया था|
Chandrayaan-2 के लॉन्चिंग की
बात की जाए तो यह पृथ्वी से चंद्रमा की ओर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को लगभग 2:51AM पर रवाना होना था, जिस समय ज्यादातर भारतीय लोग सो रहे होते है और इसे चांद पर पहुंचने के लिए
लगभग 2 महीने का समय लगने वाला
है, यानी कि यह सितंबर में
चंद्रमा पर उतरेगा।
चंद्रयान 2 मिशन क्यों रोका गया ?
दोस्तों मैं आपको
बता दूं कि चंद्रयान 2 मिशन को 15 जुलाई को लगभग 2:51AM पर उसकी लॉन्चिंग से 56 मिनट 24 सेकंड पहले रोक
लिया गया था, वैज्ञानिकों का
कहना है कि इस मिशन में कुछ तकनीकी खराबी होने के कारण इसे रोका गया था, और इसके बाद ही इसे 22 जुलाई को पुनः सफलतापूर्वक लोन्च किया गया|
आपको बता दें की 15 जुलाई की रात 1 बजकर 54 मिनिट 36 सेकंड पर chandrayaan-2 का काउंटडाउन रोक दिया गया और वैज्ञानिकों द्वारा इसकी
तकनीकी खराबी को चेक किया गया| आपको यह भी बता
दें की देश के सभी वैज्ञानिकों ने इस फैसले को सही ठहराया है क्योंकि इस चंद्र
मिशन में लगभग 1000 करोड़ रुपए लगे
हैं, और यहां कोई भी छोटा या
बड़ा Risk लेना सही नहीं है,
अतः हम तो यही कहेंगे कि यह बहुत अच्छा हुआ
क्योंकि इस छोटी सी खराब के कारण आज करोड़ों का नुकसान हो सकता था|
हालांकि
वैज्ञानिकों द्वारा सभी तकनीकी खराबी को ठीक करके इसे दिनांक 22 जुलाई 2019 को समय दोपहर 2 बजकर 43 मिनिट पर
सफलतापूर्वक Launch लांच कर दिया गया|
मिशन प्रकार
|
चन्द्र कक्षयान ,
लैंडर तथा रोवर
|
संचालक (ऑपरेटर)
|
भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन(इसरो)
|
वेबसाइट
|
www|isro|gov|in/chandrayaan2-home
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मिशन अवधि कक्षयान:
|
1 वर्ष
|
विक्रम लैंडर: <15 दिन
|
|
प्रज्ञान रोवर: <15 दिन
|
अंतरिक्ष यान के गुण
निर्माता
|
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
|
लॉन्च वजन
|
कुल योग: 3,877 कि॰ग्राम (8,547 पौंड)
|
पेलोड वजन
|
कक्षयान: 2,379 कि॰ग्राम (5,245 पौंड)
|
विक्रम लैंडर :
|
1,471 कि॰ग्राम (3,243 पौंड)
|
प्रज्ञान रोवर :
|
27 कि॰ग्राम (60 पौंड)
|
ऊर्जा :-
कक्षयान :
|
1 किलोवाट विक्रम
|
लैंडर
:
|
650 वाट
|
प्रज्ञान रोवर :
|
50 वाट
|
मिशन का आरंभ
प्रक्षेपण तिथि
|
14 जुलाई 2019,
21:21 यु|टी|सी (योजना) थी,
जो तकनीकी गड़बड़ी के चलते 22 जुलाई 2019 को 02:41 अपराह्न की गई थी।
|
|
रॉकेट
|
भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3[5]
|
|
प्रक्षेपण स्थल
|
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
|
|
ठेकेदार
|
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
|
|
चन्द्रमा कक्षीयान
कक्षीय निवेशन
|
सितंबर 6 2019 (योजना)
|
कक्षा मापदंड
निकट दूरी बिंदु
|
100 कि॰मी॰ (62 मील)[6]
|
दूर दूरी बिंदु
|
100 कि॰मी॰ (62 मील)[6]
|
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लैंडर क्या है ?
लैंडर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) के अनुसार, नए मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा। ऑर्बिटर 100 किलोमीटर (62 मील) की ऊँचाई से मैपिंग करेगा |
लैंडर :-
चंद्रयान 2 के
लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ। विक्रम ए साराभाई के नाम पर
रखा गया है। यह एक चंद्र दिन के लिए कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो लगभग 14 पृथ्वी दिनों के बराबर है। विक्रम के पास बैंगलोर के पास बयालू में
आईडीएसएन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है। लैंडर को
चंद्र सतह पर एक नरम लैंडिंग को निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया
है।चन्द्रमा की सतह से टकराने वाले चंद्रयान-1 के मून इम्पैक्ट प्रोब के विपरीत, लैंडर धीरे-धीरे नीचे उतरेगा। लैंडर किसी भी वैज्ञानिक गतिविधियों प्रदर्शन
नहीं करेंगे। लैंडर तथा रोवर का वजन लगभग 1250 किलो होगा। प्रारंभ में, लैंडर रूस द्वारा भारत के साथ सहयोग से विकसित किए जाने की उम्मीद थी। जब रूस
ने 2015 से पहले लैंडर के विकास में अपनी असमर्थता जताई। तो भारतीय अधिकारियों ने
स्वतंत्र रूप से लैंडर को विकसित करने का निर्णय लिया। रूस लैंडर को रद्द करने का
मतलब था। कि मिशन प्रोफ़ाइल परिवर्तित हो जाएगी। स्वदेशी लैंडर की प्रारंभिक
कॉन्फ़िगरेशन का अध्ययन 2013 में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र(SAC),अहमदाबाद द्वारा पूरा कि गयी। [26]
चंद्रमा की सतह
पर लैंडिंग के लिए अनुसंधान दल ने लैंडिंग विधि की पहचान की। और इससे जुड़े
प्रौद्योगिकियों का अध्ययन किया। इन प्रौद्योगिकियों में उच्च संकल्प कैमरा, नेविगेशन कैमरा, खतरा परिहार कैमरा, एक मुख्य तरल इंजन (800 न्यूटन) और अल्टीमीटर, वेग मीटर, एक्सीलेरोमीटर और इन घटकों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर आदि है। लैंडर के मुख्य
इंजन को सफलतापूर्वक 513 सेकंड की अवधि के लिए परीक्षण किया जा चुका है। सेंसर और
सॉफ्टवेयर के बंद लूप सत्यापन परीक्षण 2016 के मध्य में परीक्षण करने की योजना
बनाई है। लैंडर के इंजीनियरिंग मॉडल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के चुनलेरे में
अक्टूबर 2016 के अंत में भूजल और हवाई परीक्षणों के दौर से गुजरना शुरू किया। इसरो
ने लैंडिंग साइट का चयन करने के लिए और लैंडर के सेंसर की क्षमता का आकलन करने में
सहायता के लिए चुनलेरे में करीब 10 क्रेटर बनाए।
रोवर क्या है ?
रोवर : इसरो की
माने तो चांद पर लैंडिंग के बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा और रोवर को बाहर निकलने
में 4 घंटे तक का समय लगने
वाला है और इसके लगभग 15 मिनट के अंदर ही
ISRO को लैंडिंग की तस्वीरें
भी मिल सकती हैं आपको बता दें रोवर द्वारा ही चंद्रमा के सभी तस्वीरें और वहाँ
मौजूद जानकारियों को इसरो तक पहुंचाया जाएगा।
रोवर 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से चलकर चाँद
पर कुल 500 मीटर Cover करेगा|
ऑर्बिटर क्या है ?
ऑर्बिटर :-
ऑर्बिटर 100
किलोमीटर की ऊंचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा| इस अभियान में ऑर्बिटर को पांच
पेलोड के साथ भेजे जाने का निर्णय लिया गया है। तीन पेलोड नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान-1 ऑर्बिटर पर भेजे जाने वाले पेलोड के उन्नत संस्करण
हैं। उड़ान के समय इसका वजन लगभग 1400 किलो होगा। ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा
(Orbiter High Resolution
Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग
होने पूर्व लैंडिंग साइट के उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर देगा। ऑर्बिटर और उसके
जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के बीच इंटरफेस को अंतिम रूप दे दिया है। लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू के साथ-साथ विक्रम लैंडर में भारतीय डीप स्पेस
नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ संचार करने में सक्षम होगा। ऑर्बिटर का मिशन जीवन एक
वर्ष है और इसे 100X100 किमी लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा
जाएगा।
LANDER |
पेलोड क्या है ? यह कितने प्रकार के होते है ? चंद्रयान में पेलोड की संख्या कितनी है ?
पेलोड :-
इसरो ने घोषणा की
है कि एक विशेषज्ञ समिति के निर्णय के अनुसार ऑर्बिटर पर पांच तथा रोवर पर दो
पेलोड भेजे जायेंगे | हालांकि शुरुआत में बताया गया था कि नासा तथा ईएसए भी इस
अभियान में भाग लेंगे और ऑर्बिटर के लिए कुछ वैज्ञानिक उपकरणों को प्रदान करेंगे | इसरो ने बाद में स्पष्ट किया कि वजन सीमाओं के चलते वह इस
अभियान पर किसी भी गैर-भारतीय पेलोड को साथ नहीं ले जायेगी|
ऑर्बिटर पेलोड
चन्द्र सतह पर
मौजूद प्रमुख तत्वों की मैपिंग (मानचित्रण) के लिए इसरो उपग्रह केन्द्र (ISAC),
बंगलौर से लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे
स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास) और फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद से सोलर एक्स-रे मॉनिटर (XSM)|[25]
स्पेस एप्लीकेशन
सेंटर (SAC), अहमदाबाद से एल
और एस बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर); चन्द्र सतह पर वॉटर आइस (बर्फीले पानी) सहित अन्य तत्वों की खोज के लिए| एसएआर से चन्द्रमा के छायादार क्षेत्रों के नीचे वॉटर आइस
की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले और अधिक साक्ष्य प्रदान किये जाने की उम्मीद है।
स्पेस एप्लीकेशन
सेंटर (SAC), अहमदाबाद से
इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS); खनिज, पानी, तथा हाइड्रॉक्सिल की मौजूदगी संबंधी अध्ययन
हेतु चन्द्रमा की सतह के काफी विस्तृत हिस्से का मानचित्रण करने के लिए|
अंतरिक्ष भौतिकी
प्रयोगशाला (SPL), तिरुअनंतपुरम से
न्यूट्रल मास स्पेक्ट्रोमीटर (ChACE2); चन्द्रमा के बहिर्मंडल के विस्तृत अध्ययन के लिए|
स्पेस एप्लीकेशन
सेंटर (SAC), अहमदाबाद से
टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (टीएमसी-2);
चन्द्रमा के खनिज-विज्ञान तथा भूविज्ञान के
अध्ययन के लिए आवश्यक त्रिआयामी मानचित्र को तैयार करने के लिए|
लैंडर पेलोड :-
सेइसमोमीटर - लैंडिंग
साइट के पास भूकंप के अध्ययन के लिए [6]
थर्मल प्रोब - चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों का आकलन करने
के लिए[6]
लॉंगमोर प्रोब - घनत्व
और चंद्रमा की सतह प्लाज्मा मापने के लिए[6]
रेडियो प्रच्छादन
प्रयोग - कुल इलेक्ट्रॉन सामग्री को मापने के लिए[6]
रोवर पेलोड :-
लेबोरेट्री फॉर
इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम्स (LEOS), बंगलौर से लेजर
इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS)|
PRL, अहमदाबाद से
अल्फा पार्टिकल इंड्यूस्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (APIXS)|
वर्तमान स्थिति
इसरो द्वारा
चंद्रयान-2 को भारतीय समयानुसार 15
जुलाई 2019 की तड़के सुबह 2 बजकर 51 मिनट (24 घण्टें के रूप में) में प्रक्षेपण करने की
योजना थी,जिसको कुछ तकनीकी ख़राबी
की वजह से रद्द कर दिया गया था, इसलिए इसका समय
बदल कर 22 जुलाई 02:43 अपराह्न कर दिया गया था, जिसके फलस्वरूप इस यान को निर्धारित समय पर सफलता पूर्वक
प्रक्षेपित किया गया। दिनांक 07 सितंबर 2019
को रात्रि 02 बजे चंद्रमा के धरातल से 02.1 किमी ऊपर विक्रम लेंडर का
इसरो से फिलहाल सम्पर्क टूट गया है। दोबारा से लैन्डर से संपर्क किया जा रहा
है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, 'विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की
ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा| इसके बाद लैंडर
का धरती से संपर्क टूट गया| आंकड़ों का
विश्लेषण किया जा रहा है |
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चंद्रयान 2 चाँद पर कब पहुँचेगा/उतरेगा ?
Candrayaan 2 landing date on moon
हम आपको बता दें
की चंद्रयान लगभग 50 दिन का सफर तय
करने के बाद चाँद पर 7 सितम्बर 2019 को पहुचेगा, जहाँ वह चाँद की सतह पर लैंडर की मदद से रोवर को उतारेगा|
चंद्रयान 2 की लाइव स्ट्रीमिंग कहाँ और कैसे देखें ? (Chandrayaan 2 ka live video kaise dekhe)
दोस्तों चंद्रयान
2 की लॉन्चिंग को आप Doordarshan
National और दूरदर्शन के Youtube
चैनल पर भी देख सकते हैं|
कैसे चंद्रयान मिशन-2 भारत और दुनिया को फायदा देगा ?
इस मिशन का मकसद
चाँद के धरातल तथा वहाँ पानी की मात्रा को समझने के साथ साथ वहाँ की धातुओं का
अध्यन करना है| इतना ही नहीं रोवर
द्वारा चाँद की तस्वीरें भी भेजी जाएगी|
भारत का चंद्रयान मिशन-2 के पीछे क्या मकसद है ?
भारत दुनिया में
अपना Space Foot Prints बढ़ाना चाहता है
वही भारत इसके बाद चाँद पर मनुष्य उतारने का मिशन भी जल्द की लॉन्च कर सकता है|
पृथ्वी से चाँद की दूरी कितनी है ?
पृथ्वी और चाँद
के बीच दूरी लगभग 3,84,000 किमी हैं,
जहाँ पहुचने में कुछ दिनों का समय लगता है|
चाँद (Moon) पर तापमान कितना है ?
चंद्रमा पर
तापमान चरम सीमा से गुजरता है - सूर्य का प्रकाश पाने वाला Area लगभग 130 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है, और रात के दौरान -180 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है।
चन्द्रमा के बारे में जानकारी हासिल करना हमारे लिए क्यों जरूरी है ?
चंद्रमा पृथ्वी
का निकटतम खगोलीय पिंड है, जिस पर अंतरिक्ष
खोज का प्रयास किया जा सकता है। यह आगे दुसरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक
प्रौद्योगिकियों को चित्रित करने का एक आशाजनक परीक्षण भी है। चंद्रयान-2 खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष की हमारी समझ को बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को प्रोत्साहित करने,
वैश्विक गठजोड़ को बढ़ावा देने और खोजकर्ताओं
और वैज्ञानिकों की एक भावी पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रयास करता है
क्या चन्द्रमा पर जीवन संभव है ?
अब तक, किसी भी चंद्र मिशन ने चंद्रमा पर जीवन की
उपस्थिति के किसी भी संकेत का पता नहीं लगाया है। हालांकि चंद्रयान 1 मिशन द्वारा वहाँ पानी के संकेतो का पता चला
था|
चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 में क्या अंतर है ?
चंद्रयान 2 के रोवर को चाँद के धरातल पर उतारा जाने वाला
है वहीं चंद्रयान 1 को केवल
परिक्रमा लगाने के लिए भेजा गया था|
चंद्रमा पर कौन-कौन से देश हैं ?
अमेरिका, चीन, जापान पहले से ही चाँद पर अपना झंडा लहराया है वही भारत भी चंद्रयान भेजकर ऐसा
करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चाँद पर जाने वाले विश्व और भारत के प्रथम
व्यक्ति का नाम क्या है ?
चाँद पर सबसे
पहले अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने अपना परचम लहराया था,
वहीं राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाला पहले
भारतीय है|
इसरो के चीफ कौन है ?चंद्रयान के इनकी क्या
भूमिका है ? इनकी लाइफ स्टाइल क्या है ?
Short Biopic Of K.Sivan
K.SIVAN |
जब लैंडर विक्रम
का चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले
संपर्क टूट गया तो पूरा देश भावुक हो गया| वहीं इसरो चीफ
के सिवन का मन भी भारी हो गया और पीएम मोदी के
गले लगकर रोने लगे| मोदी ने उनका और उनकी
टीम का हौसला बढ़ाया| के| सिवन को 10 जनवरी 2018 में बतौर इसरो चीफ नियुक्त किया गया था| आइए जानते हैं उनके बारे में| कहां से की पढ़ाई|
PM_MODI_with_K.SIVAN |
के सिवन का पूरा नाम डॉ| कैलासावडिवू
सिवन पिल्लई है| वह 62 साल के हैं| उनका जन्म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु में हुआ था| साल 2018 में वह इसरो के चीफ नियुक्त किए गए
के| सिवन बेहद की गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं| उनका बचपन गरीबी में बीता| उनकी पिता एक
किसान थे| उनकी स्कूल की पढ़ाई गांव में ही हुई| आपको बता दें, वह अपने परिवार के पहले सदस्य थे जिन्होंने ग्रेजुएशन की थी|
कहा से की पढ़ाई ?
1980 में मद्रास
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली| इसके बाद उन्होंने
1982 में IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में
परास्नातक किया| उन्होंने 2006 में IIT बॉम्बे से पीएचडी की डिग्री ली|
के सिवन ने 1982 में इसरो का पीएसएलवी प्रोजेक्ट जॉइन किया था| उनके बायोडाटा के मुताबिक उनके लेख कई जर्नल्स में
प्रकाशित हो चुके हैं और उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं| बता दें, वह इंडियन नेशनल
ऐकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, एयरोनॉटिकल
सोसाइटी ऑफ इंडिया और सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया में फैलो हैं| इसी साल उन्हें तमिलनाडु सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके
योगदान को देखते हुए उन्हें डॉ ए पी जे
अब्दुल कलाम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|
ऐसे बीता बचपन
टाइम्स ऑफ इंडिया
की रिपोर्ट के अनुसार के सिवन ने बताया कि मेरे पिताजी ने मेरा दाखिला पास वाले
कॉलेज में करवा दिया| क्योंकि उनका मानना था
कि कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद मैं खेती में भी पिताजी की मदद करूंगा| उन्होंने बताया कि मैं पढ़ाई में होशियार था| मैं बीएसी का कोर्स कर रहा था जिसमें गणित विषय में 100 प्रतिशत अंक हासिल किए थे| जिसके बाद पिता की सोच बदली और आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला एमआईटी में करवा दिया|
धोती पहनकर जाते थे कॉलेज
के| सिवन ने बताया कि मैंने अपना पूरा बचपन बिना जूते और सैंडल
पहने हुए बिताया| मैंने कॉलेज तक धोती
पहनी थी, लेकिन पहली बार पैंट तब
पहनी जब मेरा एडमिशन एमआईटी में हुआ|
परिवार में ये लोग
सिवन पहले सदस्य
थे जिन्होंने अपनी ग्रेजुएट की थी| उनके भाई और 2 बहनें गरीबी की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर सके थे| लेकिन जैसे- तैसे
सिवन ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली| उनकी पत्नी का
नाम मलाठी सिवन है| उनके 2 बच्चे हैं| सिद्धार्थ और
सुशांथ|
क्रायोजॉनिक इंजन,
पीएसएलवी, जीएसएलवी और री-यूजेबल लॉन्च व्हिकल्स (आरएलवी) का निर्माण
करने में के.सिवन का अहम योगदान है| जिसके बाद उन्हें 'रॉकेट मैन' कहा जाने लगा|
आपको बता दें,
इसरो चीफ के.सिवान ने बताया
कि उन्हें तमिल क्लासिकल गाने सुनते हुए बागवानी करना काफी पसंद है| अपनी पसंद की फिल्म पर बात करते हुए सिवन ने कहा कि उन्हें
राजेश खन्ना की फिल्म आराधना बहुत पसंद है|
( मुझे उम्मीद है
की आपको मेरी यह लेख चंद्रयान -2 जरुर पसंद आई होगी | मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers
को चंद्रयान -2 के विषय में पूरी
जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article
के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है |
इससे उनकी समय की
बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे | यदि आपके मन में
इस article को लेकर कोई भी doubts
हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी
चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं |
यदि आपको यह post Chandrayaan-2 मिशन क्या है
? हिंदी में पसंद आया या कुछ
सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये|
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