सड़कें कितने प्रकार के होते है ? Sadak kitne prakar ke hote hai ?
Road kitne prakar ke hote hai ?
भारत में सड़कों के प्रकार
भारत एक विशाल देश है और इस समय विकास के पथ पर तीव्र गति से बढ़ रहा है। ऐसे में पूरे देश में छोटी-बड़ी सड़कों एक जाल-सा फैला हुआ है जो गाँवों और नगरों को एक दूसरे से जोड़ता है और परिवहन सेवाओं के सुचारू संचालन को संभव बनाता है। भारत में भ्रमण करने के लिए यहाँ की सड़क व्यवस्था को समझना आवश्यक है। इस लेख में हम आपको भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों की जानकारी प्रदान करेंगे जो आपकी यात्रा को सुगम बनाने में सहायक होगी।
भारत में विभिन्न प्रकार की सड़कें हैं। इन सड़कों को उनके उपयोग, उन पर आने वाली वाहन सघनता तथा उपयोगकर्ता के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। सड़क के निश्चित प्रयोजन के आधार पर उसकी चौड़ाई, गति सीमा, उपलब्ध सुविधाएं इत्यादि का निर्धारण किया जाता है।
सड़क विकास हेतु बनायी गयी नागपुर योजना (1944-54) के अंतर्गत पहली बार सड़कों को चार वगों में विभाजित किया गया। ये वर्ग हैं- ग्रामीण सड़कें, जिला सड़कें, प्रांतीय राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग, सीमा सड़कें, अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग, और द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) ।
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ग्रामीण सड़कें :-
ये सड़कें गांवों को जिला सड़कों से जोड़ती हैं। ये सड़कें प्रायः कच्ची, संकरी तथा भारी वाहन यातायात के अनुपयुक्त होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है।
जिला सड़कें :-
ये सड़कें बड़े गांवों एवं कस्बों को एक-दूसरे से तथा जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। ये अधिकांशतया कच्ची होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव जिला परिषदों या सम्बंधित सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है।
प्रांतीय राजमार्ग :-
ये एक राज्य के भीतर व्यापारिक एवं सवारी यातायात के मुख्य आधार होते हैं। ये राज्य के प्रत्येक कस्बे को राज्य की राजधानी, सभी जिला मुख्यालयों, राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से संलग्न क्षेत्रों के साथ जोड़ते हैं। इन राजमागों का निर्माण व रख-रखाव करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है।
राष्ट्रीय राजमार्ग :-
जैसा कि नाम ही प्रदर्शित कर रहा है, राष्ट्रीय राजमार्ग पूरे देश के महत्वपूर्ण स्थानों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। ये राजमार्ग देश की चौड़ाई एवं लंबाई के अनुसार बिछाये गये हैं। ये राज्यों की राजधानियों, बंदरगाहों, औद्योगिक व खनन क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय महत्व के शहरों एवं कस्बों को जोड़ते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई लगभग 82,621 किलोमीटर है। देश की कुल सड़क लम्बाई में राष्ट्रीय राजमार्ग मात्र 1.7 प्रतिशत में विस्तृत हैं, परंतु इन मागों के द्वारा 40 प्रतिशत सड़क यातायात की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। साधारणतः राष्ट्रीय महामार्ग २ से २ लेन तक के हो सकते हैं। व्यस्ततम मार्गों की स्थिति में ये ६ लेन के भी बनाये जाते हैं। इन राजमार्गों की देखभाल केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा की जाती है।
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सीमा सड़कें :-
1960 में सीमा सड़क विकास बोर्ड की स्थापना की गयी, जिसका उद्देश्य अल्पविकसित जंगली, पर्वतीय एवं मरुस्थलीय सीमा क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना था। एक अन्य उद्देश्य रक्षा सैनिकों के लिए अनिवार्य आपूर्ति को बनाये रखना भी था। सीमा सड़क संगठन एक कार्यकारी विभाग है, जो हिमालय तथा पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाकों एवं राजस्थान के मरुस्थलीय भागों में सड़कों का निर्माण तथा रख-रखाव करता है। वर्तमान में, बीआरओ द्वारा बंदरगाहों एवं हैलीपैडों का निर्माण भी किया जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं स्थायी पुल निर्माण कार्यों के अतिरिक्त सीमा सड़क संगठन ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कई सड़कों से ग्रीष्म एवं शीत दोनों ही मौसम में बर्फ हटाने एवं साफ करने का प्रशंसनीय कार्य भी किया।
अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग :-
ये राजमार्ग विश्व बैंक की सहायता से, एशिया-प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (इस्केप) के साथ किये गये समझौते के अधीन बनाये गये हैं। इनका उद्देश्य भारत की महत्वपूर्ण सड़कों को पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार तथा बांग्लादेश) के साथ जोड़ना है।
द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) :-
भारत में सबसे ज्यादा द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) उत्तर प्रदेश में हैं।
आसान भाषा में समझने की कोशिश करें, तो वह राजमार्ग, जिन पर चलने वाले वाहनों के प्रवेश और निकास को नियंत्रण में रखा जाता है, उन्हें एक्सप्रेसवे कहते हैं। ये तीव्र गति वाली सड़कें ४ लेन से ६ लेन तक की हो सकती हैं। इन सड़कों को केवल तीव्र गति से लम्बी दूरी तय करने वाले वाहनों के लिए ही आरक्षित किया गया है। इन राजमार्गों का निर्माण देश में यातायात के त्वरित संचलन हेतु किया गया है। यह प्रायः कंक्रीट के बने हुए कई लेन वाले राजमार्ग हैं और कुछ मामलों में मानव और जानवरों को सड़क के बीच आने से रोकने के लिए बाड़ लगाते हैं। वर्तमान में 23 एक्सप्रेस-वे हैं तथा 17 निर्माणाधीन हैं।
द्रुतमार्गों पर कोई भी वाहन लम्बी दूरी को बिना किसी रुकावट के बहुत ही कम समय में तय कर सकता है। भारत सरकार ने साल २०२० तक १८,६३७ किलोमीटर नए एक्सप्रेसवे निर्माणों का लक्ष्य रखा है, जिसमें से साल २०१८ तक १५८३ किलोमीटर तक के एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा चुका है।
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